Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बाबरी केस पर फैसला आज-1528 से अबतक, 492 साल की बात 20 प्वाइंटर में

बाबरी केस पर फैसला आज-1528 से अबतक, 492 साल की बात 20 प्वाइंटर में

इस केस की 1528 से 2020 तक की कहानी समझते हैं, साल दर साल क्या-क्या हुआ

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
बाबरी विध्वंस केस : 1528 से अबतक, 492 साल की बात 20 प्वाइंटर में
i
बाबरी विध्वंस केस : 1528 से अबतक, 492 साल की बात 20 प्वाइंटर में
(इलस्ट्रेशन: एरम गौर/क्विंट)

advertisement

करीब 28 साल पहले हुए बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट की ओर से बस थोड़ी देर में फैसला सुनाया जा सकता है. . बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में कुल 32 आरोपी हैं. इनमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती सहित अन्य लोगों के नाम शामिल हैं. इन सभी आरोपियों को उपस्थित होने के लिए कहा गया है. आडवाणी, जोशी और उमा भारती पर साजिश का आरोप है, जिसके कारण दिसंबर 1992 में 15वीं सदी के निर्मित ढांचे को गिरा दिया गया.

अब जरा इस केस की 1528 से 2020 तक की कहानी समझते हैं-

  • 1528-मुगल बादशाह बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया
  • 1949-मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्ति ‘प्रकट’ हई
  • 1984- विश्व हिंदू परिषद के उदय के साथ ही मंदिर निर्माण अभियान में तेजी
  • 1986- हिंदुओं को अंदर जाकर मूर्ति की सामने से पूजा करने की अनुमति
  • 1989- प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वीएचपी को शिलान्यास की अनुमति दी
  • 1990- यूपी की जनता दल सरकार ने बाबरी मस्जिद गिराने की पहली कोशिश नाकाम की
  • 1992-बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने गिराया

-मामले में 2 FIR दर्ज

-FIR 197 मस्जिद गिराने के लिए कारसेवकों के खिलाफ

-FIR 198 भड़काने के लिए एलके आडवाणी, एमएम जोशी, उमा भारती के खिलाफ

-विध्वंस की जांच की जिम्मेदारी लिब्राहन आयोग को दी गई

  • 1993 : यूपी के ललितपुर जिले में सुनवाई

-कारसेवकों के खिलाफ एफआईआर 197 को लखनऊ ट्रांसफर किया गया

-बीजेपी, आरएसएस, वीएचपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर 198 को रायबरेली ट्रांसफर किया गया

  • 1993 : सीबीआई ने FIR 197 और 198 के लिए एक साथ आरोप पत्र दाखिल किए
  • 1993: यूपी सरकार ने FIR 197 और 198 की सुनवाई साथ किए जाने की अधिसूचना जारी की
  • 1996: लखनऊ कोर्ट ने सभी मामलों में आपराधिक साजिश का आरोप जोड़ा
  • 2001: सरकारी चूक का हवाला देकर एलके आडवाणी, उमा भारती, अन्य ने कोर्ट के आदेश को चुनौती दी

-यूपी सरकार ने चूक ठीक करने की सीबीआई की याचिका को रद्द किया

-आरोपी केस जीत गए जिसके नतीजे के रूप में आपराधिक षड्यंत्र के आरोप हटाए गए

-मामले की फिर से अलग से रायबरेली में सुनवाई

  • 2003: रायबरेली कोर्ट में सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया

-जज ने कहा आडवाणी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं, आरोपों से बरी किया

  • 2005: इलाहाबाद हाइकोर्ट का दखल, बिना आपराधिक साजिश के आरोप के मामले की सुनवाई फिर शुरू
  • 2010: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 2001 के आदेश को बरकरार रखा

-आपराधिक साजिश के आरोप हटाए गए

-रायबरेली में मामले की अलग से सुनवाई

  • 2012: इलाहाबाद कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंची
  • 2015: सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को नोटिस जारी किए
  • 2017: सुप्रीम कोर्ट का इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आदेश

-आपराधिक साजिश की धारा फिर जोड़ी गई

-सभी मामलों की एक साथ लखनऊ कोर्ट में सुनवाई

  • 2020: सुनवाई की डेडलाइन 31 अगस्त, 2020
  • 2020: फैसले की तारीख 30 सितंबर

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 29 Sep 2020,09:17 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT