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Balakot Strike: शहीद की बहन बोलीं- ‘भाई को सपनों में देखती हूं’

बालाकोट स्ट्राइक्स के दो साल पूरे होने पर क्विंट ने दो शहीदों के परिवारों से बात की

पूनम अग्रवाल
भारत
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दो साल पहले 2019 में 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना (IAF) ने LoC पार कर पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर स्ट्राइक किया था. ये हमला 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जवाब था. इस हमले में 40 CRPF जवान शहीद हो गए थे.

बालाकोट स्ट्राइक्स के एक दिन बाद 27 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने गलती से अपने ही Mi-17 V-5 हेलीकॉप्टर को मार गिराया था. इसमें स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ठ की मौत हो गई थी. इस घटना के दो साल बाद क्विंट ने वशिष्ठ की बहन मीनाक्षी से बात की.

“मैं सिद्धार्थ भाई को कई बार सपनों में देखती हूं. हम साथ बड़े हुए थे. क्योंकि हम एक ही उम्र के थे, तो बचपन में मैं कई बार उनके कपड़ों में ही सोई हूं. जब से हमने उन्हें खोया है, हम उस घटना के बारे में घर में बात नहीं करते. ये हमें और ज्यादा दुखी करती है.” 
सिद्धार्थ वशिष्ठ की कजिन बहन मीनाक्षी वशिष्ठ  

सिद्धार्थ के हेलीकाप्टर को भारतीय वायुसेना के एयर डिफेंस सिस्टम ने गलती से मार गिराया था. ये घटना उस समय हुई थी जब बालाकोट स्ट्राइक के अगले दिन भारत और पाकिस्तान के फाइटर एयरक्राफ्ट्स के बीच डॉगफाइट चल रही थी.

क्विंट ने जब वायुसेना अधिकारियों से उन अफसरों के बारे में पूछा जिनके खिलाफ इस मामले में कार्रवाई की गई है, तो वायुसेना ने जानकारी देने से मना कर दिया. वायुसेना ने इसे संवेदनशील मामला बताया, जिसके बारे में जानकारी सार्वजानिक नहीं की जा सकती है.  

इस घटना में छह वायुसेना अधिकारियों के अलावा एक नागरिक की मौत हुई थी.

घटना के दो सालों बाद क्विंट ने IAF के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ठ और फ्लाइट इंजीनियर विशाल कुमार पांडेय के परिवार से बात की.

'IAF को शुरू से गलती के बारे में पता था'

मीनाक्षी कहती हैं, "IAF को शुरुआत से खुद के हेलीकॉप्टर को मार गिराने की गलती के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने शुरुआत में उसे माना नहीं. सिद्धार्थ का परिवार घटना के बारे में कोई भी बात करने से कतराते हैं क्योंकि उनके पेरेंट्स अभी भी बेटे की मौत को सच नहीं मान पाए हैं."

(फोटो: मीनाक्षी वशिष्ठ) 
“मैं अपने ऑफिस में थी जब मेरी मां ने कॉल करके मुझे सिद्धार्थ के बारे में बताया. उनका निक नेम बनी था. मेरी मां ने सिर्फ इतना कहा कि ‘मिनी... बनी’ और फिर रुक गईं. मैं उन्हें और कुछ कहने से रोक दिया. मैं समझ गई थी कि मेरे साथ काम करने वाले लोग चॉपर क्रैश की बात कर रहे हैं. मैं पूरी तरह टूट गई. मैंने अपना फेवरेट इंसान खो दिया था.” 
सिद्धार्थ वशिष्ठ की कजिन बहन मीनाक्षी वशिष्ठ  

सिद्धार्थ हरियाणा के अंबाला जिले के हमीदपुर गांव के रहने वाले थे. मीनाक्षी याद करती हैं कि हरियाणा सरकार के अधिकारियों ने गांव में आकर बड़े-बड़े वादे किए थे लेकिन वो कभी पूरे नहीं किए गए.

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'सरकार ने कई वादे किए, पर पूरे नहीं हुए'

स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ठ और मीनाक्षी वशिष्ठ (फोटो: मीनाक्षी वशिष्ठ) 

मीनाक्षी बताते हैं, "हरियाणा सरकार ने एक स्टेचू, एक जिम और गांव के एंट्रेंस पर एक गेट मेरे भाई के नाम पर लगवाने का वादा किया था. लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ है."

मीनाक्षी कहती हैं कि परिवार को एक साल से ज्यादा समय तक हरियाणा सरकार से सिद्धार्थ को शहीद घोषित करने का पत्र पाने के लिए चक्कर लगाने पड़े थे.

सिद्धार्थ की पत्नी आरती सिंह भी वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर हैं. 31 साल के सिद्धार्थ आर्म्ड फोर्सेज में जाने वाले अपने परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य थे. उन्होंने 2010 में वायुसेना जॉइन की थी. 
आरती सिंह यूनिफॉर्म में( बाएं से दूसरी)(फोटो: Twitter/@WriteTake) 

'सरकार को शहीदों के मां-बाप के बारे में सोचना चाहिए'

विजय शंकर पांडे और उनकी पत्नी हाथ में अपने शहीद बेटे विशाल पांडे की तस्वीर लिए हुए(फोटो: विजय शंकर पांडे) 

34 साल के फ्लाइट इंजीनियर विशाल कुमार पांडे उत्तर प्रदेश के वाराणसी से थे. घटना के बाद यूपी सरकार ने उनकी पत्नी माधवी पांडे को लखनऊ के सैनिक कल्याण बोर्ड में नौकरी दी थी.

“मुझे सब जगह से मदद मिली थी. यूपी सरकार ने स्कूल में फ्री एडमिशन में मेरी मदद की. इस जॉब की वजह से मैं एक स्वतंत्र महिला हूं. मैं सरकार को शुक्रिया कहना चाहती हूं.”   
माधवी पांडे, विशाल कुमार पांडे की पत्नी
(फोटो: विजय शंकर पांडे) 

यूपी सरकार ने पत्नी माधवी को 20 लाख और माता-पिता को 5 लाख मुआवजा दिया था.

“एक न्यूजपेपर रिपोर्ट से हमें वायुसेना के घटना के लिए जिम्मेदार होने का पता चला था. हमने वायुसेना से कई बार संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी.”
विजय शंकर पांडे, विशाल के पिता  

विशाल के माता-पिता के साथ संबंध ठीक न होने की वजह से माधवी अब अलग लखनऊ में अपने दो बच्चों के साथ रहती हैं.

विशाल के पिता वाराणसी में एक सिनेमा में मैनेजर के तौर पर काम करते थे. कोरोना महामारी की वजह से उन्होंने अपनी नौकरी खो दी थी. क्योंकि परिवार में और कोई कमाऊ सदस्य नहीं था, इसलिए विशाल के पिता को मजबूरी में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और यूपी सीएम को खत लिखना पड़ा.

“यूपी सरकार के हस्तक्षेप के बाद विशाल की पत्नी माधवी हमें हर महीने 10,000 रुपये भेजती है, जो परिवार के लिए काफी नहीं है. सरकार और सुरक्षा बलों से हमारा निवेदन है कि शहीद की पत्नी ही नहीं माता-पिता के बारे में भी सोचना चाहिए.” 
विजय शंकर पांडे, विशाल के पिता  

स्क्वाड्रन लीडर निनाद मांडवगणे, सार्जंट विक्रांत सहरावत, कॉर्पोरल दीपक पांडे और पंकज कुमार की भी इस घटना में मौत हो गई थी.

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Published: 26 Feb 2021,02:30 PM IST

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