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सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के महाविलय की समय सीमा एक अप्रैल की है. लेकिन ऐसा लगता है कि ये समय सीमा आगे बढ़ सकती है क्योंकि अभी कई रेग्युलेटरी मंजूरियां मिलनी बाकी हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि इसे अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में अमलीजामा पहनाए जाने की संभावना कम लग रही है.
एक बैंक अधिकारी ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि पीएमओ ने बैंको से अलगे 3 से 5 साल के लिए उनके वित्तीय पूर्वानुमानों की जानकारी मांगी है. इसमें एनपीए, पूंजी आवश्यकता, ऋण वृद्धि और विलय से लागत में कमी के बारे में जानकारी मांगी गई है. उन्होंने बताया
नियामक मंजूरियों के अलावा विलय योजना को 30 दिनों तक संसद में भी रखा जाएगा, ताकि सांसद इसका अध्ययन कर सकें. बजट सत्र का दूसरा भाग दो मार्च को शुरू होगा.
बैंक यूनियन भी प्रस्तावित विलय का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि बैंकिंग क्षेत्र की समस्याओं और अर्थव्यवस्था में सुस्ती का समाधान बैंकों का विलय नहीं है.
योजना के मुताबिक, यूनाइडेट बैंक ऑफ इंडिया और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक में किया जाएगा. इस विलय के बाद पीएनबी सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा.
सिंडीकेट बैंक का केनरा बैंक के साथ विलय होना है, जबकि इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में होगा. इसी तरह आंध्रा बैंक और कोऑपरेशन बैंक को यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में मिलाया जाएगा.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विलय की घोषणा के 10 महीने बाद भी विजया बैंक और देना बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एकीकरण की प्रक्रिया अभी भी जारी है. साथ ही मानव संसाधन संबंधी मुद्दे कारोबार को नुकसान पहुंचा रहे हैं और ग्राहकों को असुविधा हो रही है.
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