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मोदी से कहा कि देश को धार्मिक आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए: ओबामा

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबसे अहम पद राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का पद नहीं है, बल्कि नागरिकों का पद है,

आईएएनएस
भारत
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बराक ओबामा तुर्की में आयोजितजी -20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलते हुए.&n
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बराक ओबामा तुर्की में आयोजितजी -20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलते हुए.&n
(फोटो: PTI)

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 'निजी तौर पर' कहा था कि देश को सांप्रदायिक आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए. ओबामा ने इस बात पर बल दिया कि भारतीय समाज को इस बात को सहेज कर रखने की जरूरत है कि यहां के मुस्लिम अपनी पहचान भारतीय के तौर में बनाए हुए हैं, जो बहुत से देशों में अल्पसंख्यकों के लिए आम नहीं है.

‘सांप्रदायिक आधार पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए’

ओबामा ने हिंदुस्तान टाइम्स के लीडरशिप शिखर सम्मेलन में कहा-

ओबामा के पद छोड़ने से पहले ड्रोन विमान खरीदने की डील में तेजी लाने में जुटी मोदी सरकार. (फोटो: रॉयटर्स)
एक देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए और ऐसा मैने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत तौर पर और अमेरिका के लोगों से कहा..लोग अपने बीच के अंतर को बहुत स्पष्ट तौर पर देखते हैं लेकिन अपने बीच की समानता को फरामोश कर बैठते हैं. समानता हमेशा लिंग पर आधारित होती है और हमें इस पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है

ये पूछे जाने पर कि मोदी ने धार्मिक सहिष्णुता के उनके निजी संदेश पर कैसे जवाब दिया था, ओबामा ने सीधे तौर पर जवाब को टालते हुए कहा कि उनका लक्ष्य अपनी निजी बातचीत का खुलासा करना नहीं है. लेकिन, उन्होंने कहा कि भारत के बहुसंख्यक समुदाय और सरकार को इस तथ्य को ध्यान में रखने की जरूरत है कि अल्पसंख्यक, खास तौर से मुस्लिम भारत में अपनी पहचान को राष्ट्र के भाग के तौर पर मानते हैं.

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भारत जैसा कई देशों में नहीं है

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, "भारत जैसे देश में जहां मुस्लिमों की एक ऐसी आबादी है जो सफल, एक साथ रहते हैं और अपने को भारतीय के रूप में मानती है, ऐसा बहुत से देशों में नहीं है, इसे पोषित किया जाना चाहिए."

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबसे अहम पद राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का पद नहीं है, बल्कि नागरिकों का पद है, जिसे खुद से सवाल करने की जरूरत हैं कि वे किसी खास राजनेता का समर्थन करके किस तरह की विचारधारा को प्रोत्साहित कर रहे हैं.

ओबामा ने कहा, "अगर आप किसी नेता को कुछ ऐसा करते देखें जो सही नहीं हो, तो आप खुद से पूछें 'क्या मैं इसका समर्थन करता हूं?' नेता उस शीशे की तरह होते हैं जिनसे सामुदायिक सोच नजर आती है. अगर पूरे भारत में तमाम समुदाय ये तय कर लें कि वे विभाजन की सोच का शिकार नहीं बनेंगे तो इससे उन नेताओं के हाथ मजबूत होंगे जो ऐसा सोचते हैं."

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