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उत्तर प्रदेश के बरेली के लोगों का सपना पूरा आज पूरा हो रहा है. बरेली एयरपोर्ट से हवाई सेवा की शुरुआत हो रही है. बरेली एयरपोर्ट पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है और 8 मार्च को पहली फ्लाइट भी दिल्ली के लिए रवाना हो चुकी है.
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टी-3 से 72 सीटर विमान ने उड़ान भरा और सुबह 10 बजे बरेली एयरपोर्ट पर पहुंची, जिसमें उत्तर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार और सांसद धर्मेंद्र कश्यप के साथ बरेली जिला के सभी विधायक दिल्ली से बरेली आए. इसके बाद बरेली से दिल्ली के लिए पहली फ्लाइट ने 11 बजे उड़ान भरी.
महिला दवस के मौके पर बरेली से हवाई यात्रा की शुरुआत की गई है और खास बात ये है कि इसमें क्रू मेंबर से लेकर पायलट तक, सभी महिलाएं ही हैं.
यह पहली बार है जब केंद्र सरकार की फ्लैगशिप रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (आरसीएस) के तहत बरेली एयरपोर्ट पर घरेलू उड़ान संचालित की गई है.
एयरलाइंस ATR 72 विमान का इस्तेमाल करेगी और इस रूट का शुरुआती किराया 1956 रुपये बताया जा रहा है.
बरेली हवाई अड्डे को भारत सरकार की रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम- उड़े देश का आम नागरिक (आरसीएस-उड़ान) के तहत वाणिज्यिक उड़ान प्रचालनों के लिए अपग्रेड किया गया है. लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर, हिंडन, आगरा और प्रयागराज के बाद उत्तर प्रदेश के आठवें हवाई अड्डे के बाद अब बरेली में भी संचालन शुरू है. अब लोग दिल्ली से 60 मिनट की उड़ान के विकल्प के जरिए सुगमता से बरेली पहुंच सकते हैं, जबकि पहले उन्हें चार घंटे से अधिक की रेलगाड़ी की यात्रा या छह घंटे से अधिक की सड़क यात्रा करनी पड़ती थी.
अभी तक, उडान स्कीम के तहत 5 हेलीपॉर्ट, वाटर एयरोड्रॉम सहित 325 रूट, 56 हवाई अड्डे प्रचालित किए गए हैं. हवाई किरायों को आम आदमी के लिए सुविधाजनक बनाए रखने के लिए चुनी हुई एयरलाइनों को केंद्र, राज्य सरकारों और हवाई अड्डा ऑपरेटरों से उड़ान स्कीम के तहत वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के रूप में वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे कि स्कीम के तहत वैसे हवाई अड्डों, जहां से बहुत कम उड़ानें भरी जाती हैं, से प्रचालनों को प्रोत्साहित किया जा सके.
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