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असल उत्तर की लड़ाई: 8, 9 और 10 सितंबर को याद कर आज भी कांप जाता है पाकिस्तान

Battle of Asal Uttar: पाकिस्तान के पास थे नए अमेरिका पैटन टैंक लेकिन पुराने टैंकों से भारतीय जवानों ने कब्र खोद डाली

सोहिनी बोस & चेतन भाकुनी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Battle of Asal Uttar: पाकिस्तान के पास थे नए  पैटन टैंक, पुराने टैंकों से भारत ने  कब्र खोद डाली</p></div>
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Battle of Asal Uttar: पाकिस्तान के पास थे नए पैटन टैंक, पुराने टैंकों से भारत ने कब्र खोद डाली

(फोटो- द क्विंट/चेतन भाकुनी)

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8, 9 और 10 सितंबर.

ये तारीख पाकिस्तान को हमेशा खौफ दिलाता रहेगा. 1965 में इन तीन दिनों में भारत ने असल उत्तर की लड़ाई (Battle of Asal Uttar) में ऐसे पीटा था कि जिसकी नजीर पूरी दुनिया में कम ही मिलती है. 1965 का युद्ध (India Pakistan War 1965) लड़ चुके पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टर अमरिंदर सिंह कहते हैं कि पंजाब के कस्बे असल उत्तर की लड़ाई हम नहीं जीतते तो शायद पूरा युद्ध ही हार जाते.

पाकिस्तान अमेरिका से मिले नए नवेले पैटन टैंकों के बूते कूद रहा था. उसके पास टैंक भी ज्यादा था. लेकिन भारतीय जांबाजों ने दूसरे विश्व युद्ध के पुराने और कम टैंकों के सहारे ही पाकिस्तान को धूल चटा दी. हवलदार अब्दुल हमीद और कर्नल जीसस ने ऐसा पराक्रम दिखाया कि पाकिस्तान ने पूरे युद्ध में 165 टैंक गंवाए लेकिन इसी असल उत्तर में उसके आधे से ज्यादा टैंक तबाह हो गए.

कर्नल जीसस ने एक ही दिन में खुद ही 2000 गोले फेंके. तब पाकिस्तानी चिल्ला रहे थे-''उनके तोप तबाही मचा रहे हैं. जो कमांड कर रहा है वो ईसाई है.''

अब्दुल हमीद ने अकेले आठ पाकिस्तानी टैंक तबाह किए, वो भी एक जीप पर बैठकर. कोई ताज्जुब नहीं कि शहीद हमीद को पैटन टैंकों का किलर कहा जाता है.

हकीकत ये है कि 1965 के युद्ध में 'असल उत्तर' ही पाकिस्तान को भारत का असल जवाब था. नीचे ग्राफिक्स नॉवेल में पढ़िए असल उत्तर में भारतीय सेना के अतुल्य शौर्य की कहानी..

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