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द क्विंट ने इस मुद्दे पर जिन बिजनेसमैन, इकोनॉमिस्ट और टैक्स एक्सपर्ट्स से बात की उनके मुताबिक दो हजार के नोट की तस्वीर असल में इस बात का संकेत थी कि इनकम डिस्क्लोजर स्कीम के बाद सरकार का अगला कदम डिमॉनेटाइजेशन होगा.
द क्विंट की बातचीत के मुताबिक फोटो पहले राजनीतिक और अमीर लोगों तक सीमित थी. अक्टूबर तक यह फोटो वाॅट्सएप और टेलीग्राम पर पहुंच चुकी थी. वहीं 6 नवंबर 2016 को यह ट्विटर पर वायरल हो गई. इसके दो दिन बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने नोट बैन की घोषणा कर दी.
सरकार की तरफ से डिमॉनेटाइजेशन अॉपरेशन को खुफिया रखने की बात कही गई थी.
10 नवंबर को टाइम्स अॉफ इंडिया ने बताया कि कैबिनेट के मंत्रियों तक को ‘देश के नाम प्रधानमंत्री के संदेश’ के कुछ देर पहले ही डिमॉनेटाइजेशन प्लान के बारे में बताया गया था. अखबार के मुताबिक डिमॉनेटाइजेशन प्लान के बारे में केवल कुछ आला अधिकारियों को ही पता था. इसे राजधानी के सत्ता-गलियारों में बेहद सिक्रेट रखा गया था.
अटल सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के सलाहकार रहे मोहन गुरुस्वामी के पास डिमॉनेटाइजेशन होने के कई दिन पहले एक दोस्त का फोन आया.
‘मैंने सुना है इस हफ्ते डिमॉनेटाइजेशन होगा, तुमने क्या सुना?’ गुरुस्वामी का दोस्त शिर्डी जाना चाहता था. लेकिन अपने कैश की वजह से चिंतित था. गुरुस्वामी ने उसे छुट्टी पर जाने की सलाह दी. उसके बाद से उस दोस्त की गुरुस्वामी से कोई बातचीत नहीं हुई.
इस बातचीत के दो हफ्ते पहले गुरुस्वामी की जान-पहचान के एक सीनियर अॉडिटर ने उनसे कहा था कि इस साल दिसंबर तक डिमॉनेटाइजेशन हो सकता है.
सवाल उठता है आखिर इतनी गोपनीयता के साथ प्रिंट हुआ दो हजार का नोट कैसे सार्वजनिक हुआ? अगर एक बिजनेसमैन को नए नोटों की प्रिंटिंग के बारे में पता था तो पता लगाना चाहिए कि वो और क्या जानता है.
ग्लोबल फाइनेंस इंटेग्रिटी के मुताबिक भारत से 2004-2013 के बीच औसतन 51 बिलियन डॉलर हर साल अवैध तौर पर बाहर गए. गुरुस्वामी सवालिया निशान लगाते हुए कहते हैं कि डिमॉनेटाइजेशन जैसा बड़ा कदम उठाने के बावजूद भी बहुत कम पैसा बाहर आएगा जो इकोनॉमी में कुछ खास बदलाव नहीं ला पाएगा.
क्विंट द्वारा किए गए इंटरव्यू में एक बिजनेसमैन ने माना कि उसे सरकारी सूत्र के हवाले से डिमॉनेटाइजेशन की पहले जानकारी लग गई थी.
बिजनेस मैन के मुताबिक उसके पास अपने धन को छोटे नोटों में बदलने के लिए पर्याप्त समय था.
बहुत से लोगों का मानना था कि जो लोग बाजार को देखते-समझते हैं उन्हें डिमॉनेटाइजेशन का अंदाजा लगाने के लिए कोई लीक की जरुरत नहीं थी. बहुत से अखबारों में इस बारे में पहले ही संकेत दिए गए थे.
जनवरी में छपी द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने गलती से बाजार में एक हजार के 100 मिलियन गलत नोट जारी कर दिए थे, जिससे आरबीआई चिंतित था. इसके कुछ समय बाद फायनेंशियल एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि आरबीआई ने एक हजार की नई सीरीज पर काम चालू कर दिया है जिसमें और अधिक सुरक्षा-उपाय किए जाएंगे.
साल भर गहमागहमी बनी रही कि एक हजार के साथ-साथ दो हजार के नोट भी जारी किए जा सकते हैं.
21 अक्टूबर को बिजनेस लाइन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि आरबीआई ने पहली खेप के दो हजार के नोट की प्रिंटिंग कर ली है, जिन्हें जल्द ही रिलीज किया जाएगा. उस रिपोर्ट में एक खास बात और कही गई थी.
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