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लापरवाही की वजह से उत्तर प्रदेश पुलिस की एक बार फिर काफी किरकिरी हुई. बीते शनिवार को उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान सहारनपुर हिंसा के एक फरार आरोपी के घर नोटिस चस्पा करने पहुंचे. अजीब स्थिति ये रही कि पुलिस आरोपी के घर के बाहर नोटिस चिपका रही थी और आरोपी घर के दरवाजे पर खड़ा होकर पुलिस के सामने हंस रहा था.
सहारनपुर हिंसा के बाद से पुलिस ने 'भीम आर्मी' पर शिकंजा कसा था. इस मामले में पुलिस ने भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण समेत चार लोगों को मुख्य आरोपी बनाया था. इसमें से तीन आरोपियों की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है. लेकिन पुलिस चौथा आरोपी यानी भीम आर्मी का राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन फरार चल रहा था. पुलिस ने फरार विनय रतन के सिर पर 12 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया हुआ था.
पुलिस विनय रतन को सहारनपुर हिंसा के बाद से ही तलाश कर रही है. पुलिस ने उस पर 12 हजार का इनाम भी घोषित किया था. लेकिन पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई. शनिवार को पुलिस कोर्ट के आदेश का पालन करने फतेहपुर गांव स्थित विनय रतन के घर पहुंची. पुलिस ने घर के बाहर नोटिस चिपकाया, जिसमें विनय रतन को फरार घोषित किया गया था. पुलिस जिस वक्त ये नोटिस चिपका रही थी. घर के दरवाजे पर विनय रतन की मां और उसका 'छोटा भाई सचिन' खड़ा हुआ था. पुलिस ने दोनों से बातचीत की और नोटिस चिपकाने के बाद वापस थाने लौट आई.
कुछ ही घंटों बाद पुलिस को वापस विनय रतन के गांव लौटना पड़ा. दरअसल, नोटिस चिपकाने के कुछ ही घंटे बाद तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं थीं. इन तस्वीरों को लेकर कहा गया कि पुलिस जिसकी फरारी का नोटिस चिपका रही थी, वो शख्स उसके सामने खड़ा था. पुलिस के मुताबिक, वह विनय रतन को पहचान नहीं पाए. इतना ही नहीं दरवाजे पर खड़ी विनय रतन की मां ने भी साथ खड़े शख्स की पहचान अपने छोटे बेटे सचिन के तौर पर कराई थी. जिससे पुलिस धोखा खा गई.
इस मामले के सामने आने के बाद सहारनपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने जांच के आदेश दिए हैं. एएसपी विद्यासागर मिश्रा की अगुवाई में इस मामले की जांच की जा रही है. मिश्रा के मुताबिक, 'एसएसपी के आदेश के मुताबिक, मामले की जांच की जा रही है. हम वीडियो के पीछे के सच को सामने लेकर आएंगे.'
बीते साल 5 मई को सहारनपुर में जातीय हिंसा हुई थी. इस हिंसा में ठाकुर समुदाय के एक शख्स की मौत हो गई थी. जबकि दलित समुदाय के 25 घरों को जला दिया गया था.
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब ठाकुर समुदाय के लोग महाराणा प्रताप की शोभायात्रा निकाल रहे थे. इस दौरान शब्बीरपुर गांव में दलित समुदाय के लोगों ने शोभायात्रा में तेज संगीत बजाने पर विरोध जताया. इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हो गया, जो बाद में जातीय हिंसा में बदल गया.
भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और 12 हजार के इनामी विनय रतन ने सोमवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया. हैरानी की बात ये है कि विनय रतन चार घंटे पहले सोशल मीडिया पर सरेंडर का एलान करने के बाद समर्थकों के साथ कचहरी पहुंचा.
सरेंडर करने से पहले रतन ने मीडिया से बातचीत कर दलितों के उत्पीड़न पर नाराजगी जताई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूरे शहर में विनय रतन के सरेंडर करने की खबर थी, लेकिन पुलिस इससे अनजान बनी रही.
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