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भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद ने अपनी जमानत की शर्तों में बदलाव करने को लेकर शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत का रुख किया है. चंद्रशेखर पर 20 दिसंबर को जामा मस्जिद में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान लोगों को भड़काने का आरोप है. अदालत इस मामले में शनिवार को सुनवाई करेगी.
कोर्ट ने चंद्रशेखर के दिल्ली में आने पर चार हफ्तों की पाबंदी लगा दी थी और राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव होने तक उन्हें धरना प्रदर्शन न करने का आदेश दिया था.
16 दिसंबर को चंद्रशेखर जमानत पर जेल से बाहर आए. रिहा होने के अगले दिन, 17 जनवरी को चंद्रशेखर ने जामा मस्जिद में पहुंचकर देश का संविधान पढ़ा और कहा, उनके संगठन की ओर से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी.
उन्होंने कहा, "सरकार काला कानून लाई हैं. मैं बताना चाहता हूं कि कोई कहीं नहीं जाएगा. सब यहीं रहने वाले हैं."
ये पूछे जाने पर कि वह राजनीतिक पार्टी का गठन कब करेंगे तो उन्होंने कहा, "यह बाद में होगा. पहले हमें इस काले कानून के खिलाफ लड़ाई लड़नी है. इस कानून के खिलाफ लोगों को एकजुट करेंगे." आजाद ने एक तरह से उन अटकलों पर विराम लगा दिया जिनमें कहा जा रहा था कि वह या उनका संगठन दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतर सकते हैं. पिछले महीने ही उन्होंने एक्टिव राजनीति में उतरने की घोषणा की थी.
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