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भीमा कोरेगांव: आर्सेनल की नई रिपोर्ट-'गाडलिंग के खिलाफ प्लांट किए गए दस्तावेज'

इसी केस में आरोपी बनाए गए स्टेन स्वामी के निधन के अगले ही दिन सबूतों से छेड़छाड़ के दावे वाली रिपोर्ट आई है

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>भीमा कोरेगांव केस के आरोपी </p></div>
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भीमा कोरेगांव केस के आरोपी

(फोटो- द क्विंट)

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भीमा कोरेगांव केस (Bhima Koregaon Case) में अब अमेरिका की डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग (Arsenal Consulting) ने एक और बड़ा दावा किया है. फरवरी और अप्रैल में अपनी पहली-दूसरी रिपोर्ट जारी करने वाली इस कंपनी ने अब तीसरी रिपोर्ट जारी कर दावा किया है कि इस मामले में गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता सुरेंद्र गाडलिंग के कंप्यूटर से भी छेड़छाड़ हुई थी और सबूत प्लांट किए गए थे.

आर्सेनल कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में हुई सुरेंद्र गाडलिंग की गिरफ्तारी के करीब दो साल पहले ई-मेल के जरिए उनके कंप्यूटर छेड़छाड़ हुई थी. इस ई-मेल के रिसीवर सिर्फ सुरेंद्र गाडलिंग ही नहीं स्टेन स्वामी जैसे दूसरे कार्यकर्ता भी थे. ऐसे में इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि स्टेन स्वामी और दूसरे लोगों के भी कंप्यूटर के साथ छेड़छाड़ हुई होगी.

सुरेंद्र गाडलिंग, स्टेन स्वामी उन 16 लोगों में से हैं जिन्हें भीमा-कोरेगांव केस का आरोपी बनाया गया है. झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी (Stan Swamy) का सोमवार को 84 साल की उम्र में निधन हो गया. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी.

स्टेन स्वामी समेत दूसरे आरोपी सबूत प्लांट करने की बात कहते आए हैं

दूसरे गिरफ्तार कार्यकर्ताओं की तरह स्टेन स्वामी भी अपने जमानत याचिकाओं में लगातार ये कहते आए थे कि उनके खिलाफ दंगा भड़काने या माओवादी कनेक्शन जैसे आरोप जो लगाए गए हैं वो मनगढ़ंत हैं और सबूतों से छेड़छाड़ की गई है. अपने इंटरव्यू में भी कंप्यूटर में सबूत प्लांट करने की बात स्टेन स्वामी कह चुके हैं.

वहीं NIA का कहना है कि स्टेन स्वामी समेत इन 16 लोगों ने भीमा कोरेगांव दंगा भड़काने की साजिश रची थी और हिंसा के जिम्मेदार थे. इन सभी आरोपियों में स्टेन स्वामी सबसे उम्रदराज थे, उनपर UAPA लगाया गया था. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश रचने जैसे मामले में भी इन्हें आरोपी बनाया गया था.

आर्सेनल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सुरेंद्र गाडलिंग की हार्ड ड्राइव के एनालिसिस से सबूतों को प्लांट किए जाने के बारे में विस्तृत जानकारीम मिली है. रिपोर्ट में लिखा है कि इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि ये सबूतों से छेड़छाड़ से जुड़े सबसे गंभीर मामलों में से एक है, जिसका सामना आर्सेनल ने अबतक किया है.

आर्सेनल की ताजा रिपोर्ट में और क्या-क्या है?

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फरवरी 2016 और नवंबर 2017 के बीच के 20 महीनों तक सुरेंद्र गाडलिंग के कंप्यूटर के साथ छेड़खानी की गई थी. इस दौरान कम से कम 14 आपत्तिजनक लेटर प्लांट किए गए थे. ये वही अटैकर है जिसने रोना विल्सन के सिस्टम को भी टारगेट किया था और 30 फाइल प्लांट किए थे.

दावा है कि ये अटैकर सुरेंद्र गाडलिंग के सिस्टम पर नजर रखने और सबूत प्लांट करने, दोनों ही काम में लिप्त था.बता दें कि सुरेंद्र गाडलिंग पिछले करीब तीन साल से जेल में हैं.

वॉशिंगटन पोस्ट और एनडीटीवी दोनों की रिपोर्ट में कहा गया है कि NIA ने मामले को विचाराधीन बताते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

रोना विल्सन और सुरेंद्र गाडलिंग की गिरफ्तारी के वक्त पुलिस ने उनके कंप्यूटर को जब्त किया था. इसकी एक इलेक्ट्रॉनिक कॉपी वकीलों क भी दी गई थी. वकीलों ने इस कॉपी को एनालिसिस के लिए आर्सेनल कंसल्टिंग को दिया था.
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आर्सेनल की पहली-दूसरी रिपोर्ट में क्या था?

NIA द्वारा भीमा कोरेगांव हिंसा में 16 आरोपियों के खिलाफ मुख्य सबूत के रूप में प्रयोग 24 फाइलों में से 22 फाइलों को हिंसा के बाद प्लांट किया गया था. इस बात का दावा अमेरिकी डिजिटल फॉरेंसिक कंपनी आर्सेनल की दूसरी जांच रिपोर्ट में अप्रैल, 2021 में किया गया था. इससे पहले फरवरी 2021 में आर्सेनल द्वारा भीमा कोरेगांव हिंसा के सबूतों की जांच पर पहली रिपोर्ट आई थी. उसके दावा किया गया था कि हैकर ने किसी सॉफ्टवेयर की मदद से हिंसा के बाद रोना विल्सन के कंप्यूटर में 10 फाइलों को प्लांट किया था.

केस में बेहद अहम है इन फाइलों की भूमिका

बता दें कि विल्सन के कंप्यूटर में मौजूद 24 फाइलों के आधार पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी(NIA) ने 16 लोगो. (जिसमें शिक्षाविद, वकील और कलाकार शामिल थे )पर भीमा कोरेगांव हिंसा को प्रायोजित करने का आरोप लगाया था. NIA के अनुसार यह 24 फाइलें यह सिद्ध करती है कि ये आरोपी प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवाद) के सदस्य हैं और इन्होंने आपस में फंड ट्रांसफर ,संगठन में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने, सरकार द्वारा दमन और माओवादी गुरिल्ला लड़ाकू के तस्वीर साझा किए थे. इन्हें तब से भारत राज्य के प्रति साजिश के आरोप में गिरफ्तार रखा गया है.

क्या है भीमा कोरेगांव और साजिश वाली लेटर का मामला.

1जनवरी 2018 को सवर्ण बहुल पेशवा की सेना पर दलित बहुल अंग्रेजों की सेना के विजय के 200 में वर्षगांठ पर एल्गर परिषद का आयोजन किया गया था. यह आयोजन पुणे से 20 किलोमीटर दूर भीमा कोरेगांव में हुआ था. इस आयोजन के बाद दलितों और हिंदू दक्षिणपंथियों के बीच भयंकर हिंसा और आगजनी की घटना हुई. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत भी हुई.हिंसा के बाद पहले पुणे पुलिस ने और बाद NIA ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था.

दावा किया गया कि 31 दिसंबर 2017 में हुए एलगार परिषद में हिंसा की योजना बनाई गई थी. इसके मौके पर सुधीर धावले मौजूद थे. फिर जांच के बाद पुणे पुलिस ने दावा किया उसे ‘गुप्त स्रोतों’ से ‘गुप्त सूचना’ मिली है कि एकैडमिक और एक्टिविस्ट विल्सन और वकील-एक्टिविस्ट सुरेंद्र गाडलिंग भी इस षडयंत्र में शामिल थे.

इसके बाद पुलिस ने 17 अप्रैल 2018 को आरोपियों के घरों पर छापे मारे. इसमें विल्सन सहित कई लोगों के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए गए. पुलिस ने दावा किया कि इन कंप्यूटरों से कई संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं. एक कथित चिट्ठी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की योजना का खुलासा भी हुआ है.विल्सन उन पांच लोगों में शामिल थे जिन्हें जून 2018 में माओवादी षडयंत्रों के दावे के साथ गिरफ्तार किया गया था.

इन दावों के साथ कई आरोपियों के खिलाफ 15 नवंबर 2018 को चार्जशीट फाइल की गई. चूंकि चार्जशीट गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) एक्ट, यानी यूएपीए के तहत अपराधों के आरोपों से संबंधित थी, इसलिए इसके लिए सरकार से मंजूरी लेनी जरूरी थी. इसके लिए सरकार ने एक दिन पहले ही मंजूरी दे दी थी.

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Published: 06 Jul 2021,06:59 PM IST

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