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भीमा-कोरेगांव की NIA जांच पर लीगल एक्सपर्ट से सलाह लेंगे: देशमुख

राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र ने बिना सहमति के ये कदम उठाया है

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राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र ने बिना सहमति के ये कदम उठाया है
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राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र ने बिना सहमति के ये कदम उठाया है
(फाइल फोटो: Facebook/TheAnilDeshmukh) 

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केंद्र सरकार के भीमा-कोरेगांव केस की जांच NIA को सौंपने के फैसले से महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया है. राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र ने बिना सहमति के ये कदम उठाया है. वहीं, बीजेपी ने इसे सही ठहराया है और देवेंद्र फडणवीस कह रहे हैं कि इससे कथित अर्बन नक्सल का पर्दाफाश होगा. हालांकि, अब महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने बताया है कि वो इस मामले पर क्या कार्रवाई कर रहे हैं.

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि सरकार इस मामले को लेकर लीगल एक्सपर्ट्स से बात करेंगे.

आपको पता है कि केंद्र ने जांच NIA को सौंप दी है. कोई एक लेटर जारी किया गया है, जो अभी तक मेरे पास नहीं आया है. हम इस लेटर को देखेंगे और लीगल एक्सपर्ट्स से बात करेंगे और फिर कोई कदम उठाएंगे. कई संगठनों ने हमसे मुलाकात की और कहा कि केंद्र का ये फैसला कुछ लोगों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है.  
अनिल देशमुख, महाराष्ट्र के गृह मंत्री

इसके अलावा देशमुख ने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी बात की है. देशमुख ने कहा, "लेटर का जवाब देने के लिए हमने एडवोकेट जनरल से सुझाव लिए हैं."

पोल खुलने के डर से NIA को सौंपा गया: पवार

NCP प्रमुख शरद पवार ने आरोप लगाया है कि केंद्र ने पोल खुलने के डर से भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच NIA को सौंप दी है. पवार ने ये भी कहा कि अन्याय के खिलाफ बोलना नक्सलवाद नहीं था.

पवार ने कुछ दिन पहले इस मामले में एसआईटी से जांच के लिए राज्य के गृह विभाग को पत्र लिखा था और पुलिस के खिलाफ जांच के लिए भी कहा था

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NIA करेगी ‘अर्बन नक्सलियों’ का खुलासा: फडणवीस

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की जांच NIA को सौंपे जाने को सही कदम बताया है. फडणवीस का कहना है, "क्योंकि ये मामला महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है और इसका असर पूरे देश में दिखा हैं, केंद्र सरकार ने सही कदम उठाया है, इससे शहरी नक्सलियों का पर्दाफाश होगा."

क्या है पूरा मामला?

31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद का आयोजन किया गया था. 250 साल पहले दलितों और मराठों के बीच हुए युद्ध में दलितों की जीत का जश्न मनाने के लिए हर साल दलित यहां जमा होते हैं. इस कार्यक्रम में कुछ भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. अगले दिन हिंसा हुई थी. आरोप था कि कार्यक्रम आयोजित करने वालों के माओवादियों से संबंध हैं.

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Published: 29 Jan 2020,07:55 PM IST

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