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“अस्पताल की बजाय जेल में मरना बेहतर” - बॉम्बे HC से स्टेन स्वामी

स्वामी ने 21 मई 2021 को कोर्ट में बताया था कि जेल में उनकी सेहत काफी खराब हो गई है

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स्टेन स्वामी
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स्टेन स्वामी
(फोटो: Avishek goyal/Twitter)

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भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी ने 21 मई को अस्पताल शिफ्ट किए जाने से इनकार कर दिया था. स्वामी ने बॉम्बे हाइकोर्ट से कहा था कि वो अस्पताल में शिफ्ट होने की बजाय जेल में मरना पसंद करेंगे. स्वामी ने कोर्ट से अंतरिम जमानत पर रिहा किए जाने की अपील की. तब स्टेन स्वामी आठ महीनों से मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे.

तब स्टेन स्वामी जस्टिस एसजे काठावाला और एसपी तवडे की बेंच के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए. बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस काठावला ने स्वामी से पूछा कि क्या सेहत सुधरने तक वो जेजे अस्पताल में भर्ती होना चाहेंगे, जिससे उन्होंने इनकार कर दिया. स्टेन स्वामी ने कहा कि वो दो बार जेजे अस्पातल में भर्ती हो चुके हैं.

“अगर हालात ऐसे ही चलते रहे तो जल्दी यहीं मौत हो जाएगी.”
स्टेन स्वामी

“जेल में सेहत लगातार खराब हो रही”

बेंच ने स्टेन स्वामी के मेडिकल चेकअप के लिए तलोजा जेल प्रशासन से उन्हें जेजे सरकारी अस्पताल ले जाने के लिए कहा था. उन्होंने स्वामी से पूछा कि क्या ऐसा ही किया गया था, जिसका उन्होंने हां में जवाब दिया. स्वामी ने कोर्ट को बताया कि जेल में पिछले आठ महीनों में उनकी सेहत काफी खराब हो गई है. उन्होंने कहा कि आठ महीने पहले जब वो जेल आए थे तो चल-फिर सकते थे, लेकिन इसके बाद से उनकी सेहत लगातार गिर रही है.

कोर्ट ने स्टेन स्वामी से किसी दूसरे अस्पताल में भर्ती होने का विकल्प पूछा, जिससे उन्होंने इनकार कर दिया. स्वामी ने इसकी बजाय अंतरिम जमानत की अपील की और कहा कि वो रांची जाना चाहते हैं.

“मैं केवल एक चीज का अनुरोध करता हूं कि अंतरिम जमानत के लिए विचार किया जाए. मेरी हालत खराब हो गई है. मैं रांची जाना चाहता हूं. मुझे नहीं लगता कि इनमें से कोई भी अस्पताल से मदद मिलेगी.”
स्टेन स्वामी
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स्वामी को 8 अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था. वो पार्किंसन्स बीमारी से जूझ रहे थे. उन्हें दोनों कानों में सुनने में भी तकलीफ रही, और कई बार जेल में गिर भी चुके थे.

बता दें कि 83 साल के स्वामी को अक्टूबर 2020 में रांची स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया गया था. स्वामी का नाम उन आठ लोगों में शामिल था, जिन पर भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा को कथित तौर पर भड़काने के आरोप हैं.

भीमा-कोरेगांव मामला क्या है?

महाराष्ट्र में पुणे के भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम हुआ. यलगार परिषद ने इस सम्मेलन का आयोजन किया. इस दौरान हिंसा भड़क उठी थी. भीड़ ने तमाम वाहन जला दिए थे. दुकानों-मकानों में तोड़फोड़ की गई थी. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई, कई लोग जख्मी हो गए. इस मामले में माओवादियों से संपर्क रखने के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

(ये स्टोरी 21 May 2021 को पहली बार पब्लिश हुई थी, स्टेन स्वामी के निधन पर हम इसे फिर से रीपब्लिश कर रहे हैं)

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Published: 21 May 2021,03:59 PM IST

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