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30-31 अक्टूबर की रात, सिमी के 8 कैदी भोपाल सेंट्रल जेल तोड़ कर भाग जाते हैं. 8 घंटे बाद सेंट्रल जेल से 13-14 किलोमीटर दूर अचारपुरा और खेजड़ादेव गांव के पास इन कैदियों का भोपाल पुलिस और एटीएस एनकाउंटर कर देती है.
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी देते हैं, और देर शाम पुलिस की थ्योरी की सामने आई.
लेकिन इस पूरी घटना का दूसरा पहलू ये भी है कि भोपाल में 30-31 अक्टूबर की रात जो हुआ उसपर देश की राय बंटी हुई है. एनकाउंटर पर कई सवाल उठ रहे हैं और इन्ही सवालों के जवाब तलाशने द क्विंट भोपाल पहुंचा.
जगह- भोपाल सेंट्रल जेल, वक्त- दिन के तकरीबन 11 बजे
जेलब्रेक के 6 दिन बाद, सेंट्रल जेल की रंगत बदल चुकी थी, सुरक्षा चाक-चौबंद और अधिकारियों का आना-जाना जारी था. सिमी के 8 कैदी भोपाल सेंट्रल जेल से कैसे भागे इसकी जांच राज्य स्तर पर चार विभाग कर रहे हैं.
लेकिन इन सबके बावजूद दिल्ली से लेकर भोपाल तक विपक्षी दलों की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से भोपाल एनकाउंटर की जांच कराने की मांग की है.
क्या 4 राज्य स्तर की जांच, एक ज्यूडिशियल जांच से भोपाल में 30-31 अक्टूबर की रात हुए जेलब्रेक की पूरी कहानी बयां नहीं कर पाएगी? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए मैं जांचकर्ताओं से मिलने लगा, ये जानने की कोशिश में कि आखिर उनकी जांच किस ओर चल रही है, अबतक की जांच में किसी नई बात की पुष्टि हुई है क्या?
और फिर मेरी मुलाकात हुई एक सीनियर जांचकर्ता से, मेरे पास कई सवाल थे और उनके पास जवाब.
नोट- हमारे पास इस बातचीत का पूरा ऑडियो मौजूद है और इस स्टोरी में बातचीत के कुछ अंश शामिल किए गए हैं. आवाज में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. जांच अधिकारी से मेरी मुलाकात भोपाल सेंट्रल जेल में हुई.
सवाल: आप लोगों की इनवेस्टिगेशन अभी तक कहां पहुंची है? उस रात के बारे में अगर कुछ बताएं...
जेलब्रेक की जांच कर रहा अधिकारी (ऑडियो)- क्या जानना चाहते हैं आप? जेल में भागते वक्त दो संतरी थे, एक को बांध दिया दूसरा विरोध कर रहा था, उन्होंने समझाया हवलदार नहीं माना, ईमानदार था. लड़ता रहा, प्लानिंग थी कोई रोकेगा तो मार देंगे, दीपावली का दिन था सुरक्षा थी नहीं जवान कम थे. वो अंदर और दो दीवार कूद कर भागे
एक ISO सर्टिफाइड जेल, ब्लॉक B में सिमी के तकरीबन 21 कैदी, कैदियों और जेल प्रशासन की दोस्ती, अगर वो 'खूंखार' थे जो जेल इतनी मेहरबान क्यों थी? लेकिन फिर भी ब्लॉक B में 30 अक्टूबर की रात सिर्फ 2 पुलिसकर्मी?
ये सब वाकई चौंकाने वाला था. बातचीत में ऑफिसर ने हमें बताया कि दरअसल जेल के अंदर उस रात ब्लॉक -बी जहां सिमी के कैदियों को रखा गया था, वहां सिर्फ 2 जेल सुरक्षाकर्मी थे.
जिस अधिकारी से मेरी बात हुई है वो जेलब्रेक की जांच कर रही टीम के सीनियर अधिकारी हैं.
सवाल: क्या जेल के अंदर कुछ ऐसा हुआ है जिसे आप हमें नहीं बताना चाहते? जब आप लोग की जांच पूरी होगी और रिपोर्ट आएगी तो फिर से ये मामला तूल पकड़ेगा
जांच अधिकारी (ऑडियो)- अरे ये तो सीधी सी बात है कि ये जेल की लापरवाही है. ऐसा नहीं है कि हमने कभी जेल प्रशासन को बताया नहीं, हम बोल चुके थे कि इन लोगों को हल्के में मत लो. जेलवालों ने सोचा हमारी जेल आईएसो है, हाई सिक्योरिटी है. ये भाग नहीं पाएंगे. करप्शन तो आतंकवाद से भी बड़ा मुद्दा है आज दुनिया में. किसी के अंदर ईमानदारी नहीं है.
ऑफ रिकॉर्ड मुझे ये भी बताया गया कि ऊपर से ऑडर्र हैं कि एनकाउंटर की जांच में सिर्फ जेल प्रशासन की लापरवाही साबित करनी है, जिस अधिकारी से मैंने बात की उसने मुझसे कहा, अगर मेरे डिपार्टमेंट को ये निर्देश मिला है तो दूसरे विभाग के अधिकारियों को भी इसी दिशा में जांच करने के आदेश मिले होंगे. इनवेस्टिगेशन के दौरान मैंने प्रशासन के कई और लोगों से भी बात की, और उनकी बातों में भी इस बात जिक्र था कि जेल के अंदर क्या हुआ इसपर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है. इनमें से कुछ सस्पेंड हुए अधिकारी भी थे और कुछ अहम पदों पर बैठे राज्य स्तर के अधिकारी हैं.
हैरानी की बात थी कि जांच अधिकारी इस बात की पुष्टि कर रहे थे 30-31 अक्टूबर की रात, जेल में सुरक्षाकर्मियों की भारी कमी थी, कैदियों के साथ दोस्ताना व्यवहार की वजह से उनके सेल में ताले तक नहीं लगाए गए. दीपावली का खुमार था और लापरवाही अपने चरम पर थी.
अगर हम जांचकर्ता अधिकारी जिससे हमारी बातचीत का ऑडियो आप सुन सकते हैं कि बातों के मुताबिक चलें तो 3 लेवल सिक्योरिटी वाली जेल से भागना बेहद ही आसान था. मामले की जांच कर रहे अधिकारी अागे बताते हैं कि...
अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कैदियों से जेल प्रशासन डरता था? क्या वो सच में बेडशीट की रस्सी बनाकर जेल से भागे थे?
बातचीत के आधार पर ये कहा जा सकता है कि राज्य सरकार की अलग-अलग जांच में कोई नई कहानी सामने नहीं आने वाली, क्योंकि एनकाउंटर के दूसरे दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो कहा था, घटना के बाद 6-7 दिन बाद जांच अधिकारी की बातों में भी वही अक्स दिखा.
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