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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई गैस त्रासदी को आज 33 साल हो गए हैं. लेकिन अब तक इस हादसे के शिकार लोगों को इंसाफ नहीं मिल पाया है. आज से ठीक 33 बरस पहले हुए हादसे को याद कर भोपाल के लोगों की रूह सिहर उठती है. रविवार की सुबह कुछ लोगों ने कफन ओढ़कर राजधानी भोपाल में राजभवन के सामने प्रदर्शन किया.
3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड के कारखाने से हुए जहरीली गैस के रिसाव से पूरे भोपाल में मौत का तांडव मच गया था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, उस रात लगभग पांच हजार लोगों की मौत हो गई थी. उसके बाद से अब तक करीब 15 हजार लोगों को मौत हो चुकी है. जबकि हजारों लोगों को तमाम तरह की बीमारियां लाचार बना चुकी हैं.
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को 33 बरस बीतने के बाद भी इंसाफ का इंतजार है. इसी को लेकर भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोगों ने राजभवन पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी विरोध स्वरूप सड़क पर सफेद कपड़ा (कफन) लपेटकर लेट गए.
प्रदर्शनकारी रविवार को एक संगठन द्वारा आयोजित 'रन फॉर रन' का विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि एक तरफ आधा भोपाल मातम मना रहा है, वहीं दूसरी ओर उत्सव मनाया जा रहा है.
हादसे की 33वीं बरसी पर रविवार सुबह साढ़े 10 बजे बरकतउल्ला भवन में सर्वधर्म प्रार्थना सभा होगी. इस प्रार्थना सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य लोग शामिल होंगे. सभा में दिवंगत गैस पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी जाएगी. इस मौके पर धर्मगुरुओं द्वारा विभिन्न धर्मग्रंथों का पाठ किया जाएगा. भोपाल ग्रुप फॉर इंफार्मेशन एंड एक्शन के बैनर तले भारत टॉकीज से साढ़े 11 बजे यूनियन कार्बाइड प्लांट तक रैली निकाली जाएगी.
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने भी रविवार को शाहजंहानी पार्क में सभा का आयोजन किया है. संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने बताया है कि इस सभा में प्रतिज्ञा ली जाएगी कि जब तक समस्याओं का निराकरण नहीं हो जाता है, तब तक संघर्ष जारी रहेगा.
भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति द्वारा रविवार को यूनियन कार्बाइड के सामने बनी मूर्ति के समक्ष प्रदर्शन कर हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। समिति की संयोजक साधना कार्णिक के अनुसार, इस मौके पर पीड़ितों को न्याय दिलाने का संकल्प लिया जाएगा।
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