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BHU छात्राओं पर लाठीचार्ज केस में महिला आयोग ने वीसी को पाया दोषी

महिला आयोग की टीम से नहीं मिले वीसी जीसी त्रिपाठी 

द क्विंट
भारत
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बीएचयू के बाहर प्रदर्शन करती छात्राएं
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बीएचयू के बाहर प्रदर्शन करती छात्राएं
(फाइल फोटो: द क्विंट)

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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज मामले में महिला आयोग ने अपनी जांच में मुख्य रूप से विश्वविद्यालय के कुलपति जी सी त्रिपाठी को दोषी ठहराया है. राष्ट्रीय महिला आयोग की कार्यकारी अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अपनी जांच पूरी करने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि कुलपति के संवादहीनता रवैए ने इतने बड़े आंदोलन का रूप ले लिया.

उन्होंने कहा कि अगर वीसी सही समय पर छात्राओं से मिलकर उनकी समस्या का समाधान करते तो मामला यहां तक नहीं पहुंचता. महिला आयोग ने अपनी जांच में यह भी माना कि बीएचयू में छेड़खानी की घटनाएं बहुत ज्यादा हैं.

छात्राओं से मिल लेते वीसी तो नहीं बढ़ती बात

राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी जांच में बीएचयू के पूरे घटनाक्रम के लिए सीधे तौर पर वीसी को जिम्मेदार ठहराया है.

वीसी की संवादहीनता के चलते इतनी बड़ी घटना हो गई. 40 घंटे से धरना दे रही छात्राओं पर पुरुष पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज किया, जांच में इसकी पुष्टि हुई है. वीसी अगर छात्राओं से मिलते तो वह इस धरने को कंट्रोल कर सकते थे.
<b>रेखा शर्मा, महिला आयोग की कार्यकारी अध्यक्ष</b>
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महिला आयोग से नहीं मिले पूर्व वीसी

रेखा शर्मा ने बताया कि वह कुलपति से मिलना चाहती थीं लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और ना ही मैसेज का कोई जवाब दिया. शर्मा ने कहा कि वीसी को इस मामले में समन भेजा जाएगा. क्योंकि अगर वो उसी दिन छात्राओं से मिल लेते तो मामला इतना नहीं बढ़ता.

महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि छात्राओं ने जो आंदोलन शुरू किया .लेकिन बाद में इसे बाहरी लोगों ने टेकओवर कर लिया, जिसकी वजह से बीएचयू का माहौल बिगड़ा और पुलिस को बुलाना पड़ा.

हमारी जांच कमेटी गुरुवार को 6 घंटे विश्वविद्यालय में रही, जहां छात्राओं से हमने हॉस्टल में उनके कमरों में यहां तक कि मेस में जाकर उनसे पूछताछ की. जो भी लड़की हमें मिली उसने कहा कि विश्वविद्यालय में छेड़खानी हद से ज्यादा है. कोई भी लड़की ऐसी नहीं मिली, जिसने ये कहा हो कि छेड़खानी नहीं होती.
<b>रेखा शर्मा, महिला आयोग की कार्यकारी अध्यक्ष</b>

महिला आयोग की कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा, 'मैंने विश्वविद्यालय प्रशासन को सलाह दी है कि लड़के और लड़कियों दोनों के ही हॉस्टल की टाइमिंग एक होनी चाहिए. लाइब्रेरी में अगर छात्राएं रात में पढ़ना चाहती हैं तो उन्हें मना नहीं किया जा सकता. हमने विश्वविद्यालय प्रशासन को सलाह दी है कि जल्द ही टाइमिंग सही की जाए.'

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