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बिहार के वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने आज गुरुवार को 2015-16 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि साल 2005-06 के बीच बिहार की अर्थव्यवस्था 10.52 फीसदी की दर से विकसित हुई है जो देश के प्रमुख राज्यों से ज्यादा है.
बिहार विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन गुरुवार को राज्य के वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने 2015-16 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. इसके अनुसार पिछले दस सालों में बिहार की अर्थव्यवस्था देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे तेज विकसित हुई.
बिहार विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए वित्तमंत्री ने दावा किया कि बिहार की अर्थव्यवस्था में निरंतर सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2012-13 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय संपूर्ण भारत के औसत का 37 फीसदी थी जो 2014-15 में बढ़कर 40.6 प्रतिशत हो गई.
वित्तमंत्री ने माना है कि आर्थिक मंदी का असर बिहार के विकास पर भी देखा गया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच राज्य की अर्थव्यवस्था 10.52 प्रतिशत की वार्षिक दर से विकसित हुई है, लेकिन पिछले तीन वित्तीय वर्षो में विकास की दर 9.8 प्रतिशत रही.
सिद्दीकी ने कहा कि वर्ष 2005-2006 से 2014-15 के बीच कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 6.02 फीसदी रही है. राज्य की लगभग 90 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है.
वित्त मंत्री ने 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के कारण बिहार को हुए नुकसान की चर्चा करते हुए कहा कि करों के विभाज्य पूल में बिहार को 50 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले 10 वर्षो में बिहार में मोबाइल धारकों की संख्या में 15 गुना वृद्धि दर्ज की गई है. सिद्दीकी शुक्रवार को सदन में वर्ष 2016-17 के लिए राज्य का बजट पेश करेंगे. प्रतिवर्ष केंद्र की तर्ज पर बिहार में भी आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है.
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