advertisement
"मेरे भैया एक सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे, 3 महीने से अपनी सैलरी के लिए हड़ताल पर थे, उनकी सैलरी भी रोक दी गई थी. इसी चिंता में वो बीमार पड़ गए, हम लोगों के पास इलाज तक के पैसे नहीं थे. इसलिए उनकी मौत हो गई. मां बूढ़ी हैं, भाभी विधवा हो गईं, अब हमारे पास कोई सहारा नहीं है." ये दर्द बयां कर रही है बिहार के सारण के एक टीचर संजय कुमार की बहन सूचिता. संजय की 9 अप्रैल को मौत हो गई. परिवार का आरोप है कि हड़ताल की वजह से उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था, जिस वजह से वो मानसिक तनाव में थे.
दरअसल, बिहार में करीब चार लाख टीचर 'समान काम, समान वेतन’ की मांग को लेकर 25 फरवरी से हड़ताल पर थे. इसी दौरान 60 से ज्यादा हड़ताली शिक्षकों की अलग-अलग वजहों से मौत हो गई.
संघ के अध्यक्ष केदार पांडे बताते हैं कि नियोजित शिक्षक समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर पिछले कई महीनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.
बता दें कि संघ ने जो लिस्ट जारी की है उसमें लॉकडाउन के दौरान मरने वाले शिक्षकों की संख्या करीब 34 है. बता दें कि बिहार सरकार ने 28 मार्च को नियोजित शिक्षकों और नियमित शिक्षकों को बकाया सैलरी देने का निर्देश जारी किया था. हालांकि इसमें हड़ताल कर रहे शिक्षकों को सिर्फ जनवरी की सैलरी देने की बात कही गई थी. लेकिन हड़ताल कर रहे शिक्षकों का कहना था कि उन्होंने फरवरी के महीने में भी काम किया है और उसकी सैलरी भी इन लोगों को मिलनी चाहिए.
विजय मोहन, संयुक्त सचिव बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ बताते हैं कि हम सब हड़ताल पर हैं, हम लोगों ने सरकार को सैकड़ों पत्र लिखे, लेकिन सरकार की तरफ से कोई बात करने को तैयार नहीं है. किसी की मौत ब्रेन हेमरेज की वजह से हुई है तो किसी को हार्ट अटैक हुआ. बहुत से शिक्षकों के पास कर्ज था, इलाज कराने तक का पैसा नहीं था. हम सरकार से मांग करते हैं कि ऐसे परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी दें.
बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा का कहना है कि जिन शिक्षकों की मौत हड़ताल के दौरान हुई है , उनके परिवार को बिहार सरकार 4-4 लाख रुपए मुआवजा देगी. लेकिन फिलहाल अभी तक किसी भी परिवार को मुआवजा नहीं मिला है.
बालमुकुंद मिश्रा बताते हैं कि उनकी पत्नी ममता कुमारी नाराणपुर के एक स्कूल में पढ़ाती थीं, पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं, लेकिन पैसे की कमी की वजह से उनका इलाक नहीं कराया जा सका.
बता दें कि साल 2015 से बिहार के नियोजित शिक्षक समान वेतन, प्रोमोशन, ट्रांसफर जैसी कुछ मांग उठाते रहे हैं. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था, जिसमें कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला नहीं दिया था.
फिलहाल आज ही बिहार सरकार की तरफ से शिक्षकों की मांग को लेकर लॉकडाउन और कोरोना महामारी की समस्या के बाद बात कर समाधान निकालने की बात कही गई है. केदारनाथ पांडे ने कहा कि सरकार ने हमें लिखित रूप से आशवासन दिया है कि हड़ताली शिक्षकों का निलंबन वापस होगा और उनकी सैलरी भी दी जाएगी. जिसके बाद हम लोगों ने अपने हड़ताल को स्थगित करने का फैसला किया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)