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हाथ में ढोल लेकर अपने समुदाय के लोगों के साथ घर-घर जाकर बधाइयां देना समाज ने उनकी मजबूरी बना दी है. उसी समाज के बीच वो अपनी पहचान बनाना चाहती हैं. लेकिन इन ट्रांसजेंडर्स के लिए नाचना-गाना अब उनकी मजबूरी नहीं, बल्कि सम्मान पाने, आत्मविश्वास हासिल करने और आत्मनिर्भर बनने का जरिया होगा.
इस मकसद को पूरा करने में मदद कर रही है नीतीश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना स्टार्टअप नीति, 2017.
हम बात कर रहे हैं बिहार की. बिहार अब उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है, जहां स्टार्टअप नीति लागू है. राज्य सरकार ने नए आइडिया को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप नीति, 2017 लागू किया है. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि इन स्टार्टअप के बीच एक ऐसा भी है, जिसे ट्रांसजेंडर्स के एक ग्रुप ने तैयार किया है. इस स्टार्टअप वेंचर का नाम होगा nachbaja.com (नाचबाजा डाॅट काॅम) , जिसके तहत ये ग्रुप एक मोबाइल ऐप लेकर आ रहा है.
5 साल से अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे ट्रांसजेंडर समुदाय की रेशमा के इस स्टार्टअप आइडिया को बिहार सरकार ने मंजूरी दे दी है. किन्नर गुरु रेशमा प्रसाद 'दोस्ताना सफर' नाम का एक एनजीओ भी चलाती हैं.
स्टार्टअप के तहत तैयार किए गए ऐप की मदद से लोग बच्चों के जन्म, शादी-विवाह जैसे मौकों पर किन्नरों को घर बुला सकते हैं.
दरअसल, बिहार सरकार के पास स्टार्टअप के लिए 2186 एप्लीकेशन आए थे. इनमें से 200 एप्लीकेशन पर काम करने के लिए आईआईटी पटना, एनआईटी, निफ्ट, राजेंद्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी सबौर, बीआईटी, सीपेट, चंद्रगुप्त इंंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, चेंबर आॅफ काॅमर्स जैसे 10 संस्थानों को इन्क्यूबेटर के रूप में शामिल किया गया. 50 लाख से ज्यादा की फाइनेंशियल मदद सरकार की ओर से दी गई.
चुनी गई स्टार्टअप कंपनियां-
इस पूरी प्रक्रिया के बाद 6 और एप्लीकेशन डिपार्टमेंट आॅफ इंडस्ट्री की ओर से चुने गए. इनमें से एक nachbaja.com (नाचबाजा डाॅट काॅम) भी है. इन 6 स्टार्टअप को इसलिए शामिल किया गया, क्योंकि ये भी राज्य में रोजगार पैदा करने की दिशा में अच्छा काम करने की क्षमता रखते हैं. सरकार ने इसी आधार पर इस स्टार्टअप को अपनी पहल में शामिल किया.
नाचबाजा डाॅट काॅम का चुना जाना इसलिए भी खास है, क्योंकि ये रोजगार देने के साथ-साथ इस सुमदाय के विकास में भी एक अहम भूमिका निभाएगा.
बिहार सरकार की इस अनूठी पहल से राज्य के विकास के साथ-साथ ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर देशभर में अच्छा मैसेज जाएगा. सामाजिक संदेश देने के मामले में बिहार ने कई बार देश को नई राह दिखाई है.
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