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बिहार:लॉकडाउन के लिए अलग-अलग नियम?BJP MLA कोटा जाकर बेटी को ले आए

जब UP की योगी सरकार ने कोटा से अपने छात्रों को लाने के लिए बस भेजीं तब नीतीश कुमार ने ही इसका विरोध किया था

शादाब मोइज़ी
भारत
Published:
BJP विधायक अनिल सिंह
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BJP विधायक अनिल सिंह
(फोटो: Altered by Quint  Hindi)

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एक तरफ दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर और छात्र अपने घर आने के लिए तड़प रहे हैं, फिर भी नीतीश सरकार लॉकडाउन का हवाला देकर उन्हें बिहार लाने को तैयार नहीं है. लेकिन शायद ये बात नीतीश कुमार की गठबंधन वाली पार्टी बीजेपी के विधायक पर लागू नहीं होता है.

बिहार के हिसुआ विधानसभा से बीजेपी के विधायक अनिल सिंह लॉकडाउन के बीच ही कोटा में पढ़ रही अपनी बेटी को वापस बिहार ले आए हैं. उन्होंने बेटी को लाने के लिए ई पास बनवाया और खुद कोटा जाकर उसे नवादा ले आए. विधायक को मिले ई पास की खबर अब बाहर आ चुकी है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन है. सीएम नीतीश कुमार बार-बार कह रहे हैं कि जो जहां हैं वो वहीं रुक जाए. यही नहीं जब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोटा से अपने छात्रों को लाने के लिए बस भेजीं तब नीतीश कुमार ने ही इसका विरोध किया था. उन्होंन कई बार कहा है कि अगर लोग एक राज्य से दूसरे राज्य जाएंगे तो लॉकडाउन का मकसद ही खत्म हो जाएगा.

लेकिन बीजेपी के विधायक ने इन सबके बावजूद नवादा जिला प्रशासन से अपनी बेटी को कोटा से लाने के लिए आवेदन दिया था. जिसके बाद नवादा के एसडीएम ने उन्हें पास जारी किया. अनिल सिंह ने 16 अप्रैल से लेकर 25 अप्रैल तक प्रतिबंधित अवधि में कोटा में फंसे अपने बेटे को लाने का आदेश लिया था.

जिला अधिकारी ने कहा- मेडिकल ग्राउंड पर जारी हुआ पास

जब नवादा के जिला अधिकारी से द क्विंट ने पूछा कि जब मजदूर और बाकी छात्रों को लाने के लिए सरकार मना कर रही है तब विधायक को किस आधार पर ये पास दिया गया? इस पर जिला अधिकारी यशपाल मीना कहते हैं,

“उन्हें मेडिकल इमरजेंसी को देखते हुए ये आदेश दिया गया था. उनकी बेटे की तबियत खराब थी. एसडीएम ने मेडिकल ग्राउंड पर ही ये फैसला किया है.”
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डिप्रेशन में थी बेटी इसलिए ले आए

विधायक ने बेटे को वापस लाने के लिए ई-पास का आवेदन किया था, लेकिन जब द क्विंट ने विधायक से बातचीत की तो पता चला कि वो बेटे नहीं बेटी को वापस लाने गए थे. द क्विंट ने विधायक अनिल सिंह से बात की तो उन्होंने कहा, "मेरी बेटी कोटा के ऐलेन में मेडिकल की तैयारी कर रही है. वो वहां अकेली थी. पांच फ्लोर का हॉस्टल था, सब बच्चे चले गए थे. वो वहां अकेली थी. इसलिए हम उसे लाने गए."

हालांकि जिला अधिकारी ने मेडिकल इमरजेंसी की बात कही थी. जब क्विंट ने विधायक अनिल सिंह से मेडिकल वाली बात पूछी तब उन्होंने कहा, मेरी बेटी अकेली थी और डिप्रेशन में थी.

हमने विधायक को ये बात भी याद दिलाई की आपके सीएम नीतीश कुमार बाहर से आने वालों के सख्त खिलाफ हैं, फिर आपने ऐसा क्यों किया? अनिल सिंह ने कहा,

“मैं बेटी को अकेले कैसे छोड़ देता. हम खुद लाने गए थे इसलिए, अपनी फॉर्च्यूनर गाड़ी से. उसका स्क्रीनिंग भी कराया है. हर जगह रास्ते में भी चेकअप कराया. अब बेटी होम क्वॉरेंटीन में है. नीतीश जी ने कोटा से बच्चों को लाने पर 17 अप्रैल को बयान दिया था, हम 16 को ही गए थे. देखा जाए तो हमने किसी आदेश का उल्लंघन नहीं किया है.”

तेजस्वी ने भी उठाए सवाल

बीजेपी विधायक को पास जारी किए जाने के बाद विपक्षी नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया है. उन्होंने कहा,

नीतीश के करीबी रहे प्रशांत किशोर ने भी इस पर सरकार पर हमला बोला. है. उन्होंने कहा,

“कोटा में फंसे बिहार के सैकड़ों बच्चों की मदद की अपील को नीतीश कुमार ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि ऐसा करना #lockdown की मर्यादा के खिलाफ होगा. अब उन्हीं की सरकार ने BJP के एक MLA को कोटा से अपने बेटे को लाने के लिए विशेष अनुमति दी है. नीतीश जी अब आपकी मर्यादा क्या कहती है?”

बता दें कि लॉकडाउन की वजह से अभी भी कई लोग अलग-अलग राज्यों में रुके हुए हैं, और वो बिहार वापस आना चाहते हैं, लेकिन बिहार सरकार बार-बार पीएम मोदी की बात को दौहराते हुए कह रही है कि जो जहां हैं वहीं रुके.

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