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बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि बिहार में BJP-JDU का गठबंधन अटल है. उन्होंने 2020 विधानसभा चुनावों से काफी पहले ही कह दिया है कि गठबंधन चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेगा, यानी मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश ही होंगे. हाल फिलहाल जब बिहार में BJP-JDU के बीच तकरार की खबरें तेज हो रही थीं तो ऐसे में अमित शाह का ये बयान काफी कुछ कहता है. ये इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि कई राज्यों में सहयोगियों के साथ बीजेपी का रवैया 'बिग ब्रदर' का रहा है.
2015 में RJD के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली JDU जब 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ आई और नतीजे शानदार रहे तो लगा कि अब ये जोड़ी जुटकर काम करेगी. लेकिन नई मोदी सरकार के गठन के समय से ही तकरार शुरू गई. मोदी सरकार 2.0 में सिर्फ एक मंत्री पद ऑफर किए जाने से JDU खफा हो गई. उसने सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया. बाद में जब नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल विस्तार किया तो बीजेपी को कोई जगह नहीं दी. हाल फिलहाल भी कई बार ऐसा लगा कि BJP-JDU के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा.
नौबत ये आई कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को गिरिराज सिंह को सोच समझकर बोलने की नसीहत दी गई.
बीजेपी की सियासत का पैटर्न ये कह सकते हैं उसने जिसे भी अपना पार्टनर बनाया, उसे या तो छोटे भाई का दर्जा दिया और उसका विलय ही करा लिया. आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना को कम सीटें दीं. गोवा में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी का लगभग सफाया हो गया. नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी को सहयोग करने वाली पार्टियों का हश्र भी सबके सामने है. तो फिर क्यों बिहार में बीजेपी नीतीश के सिर ताज रखने को तैयार है.
JDU की पिछली कुछ सियासी चालों को देखकर कहा जा सकता है कि वो कभी भी पाला बदल सकती है. ऐसे में जब हाल फिलहाल बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने रौब दिखाना शुरू किया तो बीजेपी आलाकमान के कान खड़े होना लाजिमी है. अमित शाह के इस बयान के बाद नीतीश कुमार जरूर आश्वस्त हुए होंगे. हालांकि बिहार की सुपरफास्ट राजनीति में चुनाव आते-आते क्या बदल जाए, कह नहीं सकते.
वैसे बीजेपी की इस सियासत के पीछे ये सोच भी हो सकती है कि शीट शेयरिंग के समय उसे रियायत मिल जाए. यानी ये एक हाथ से देकर, दूसरे हाथ से लेने की रणनीति भी हो सकती है. वैसे भी मोदी लहर पर सवार बिहार बीजेपी के नेता खुद को जेडीयू से ऊपर आंक रहे हैं. ऐसे में अगर उन्हें 2020 में सीटों की संख्या पर ज्यादा समझौते के लिए कहा गया तो वो मायूस हो सकते हैं.
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