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किसी भी छात्र के लिए परीक्षा में टॉप करना गर्व की बात होती है. अगर कोई अपने प्रदेश में टॉपर बना हो, तो और भी गर्व की बात होती है. ऐसे छात्र अपने बायोडाटा में शान से ‘टॉपर’ का तमगा भी जोड़ते हैं, लेकिन अब बिहार के टॉपर रहे छात्र इस तमगे को हटा रहे हैं.
बिहार के चर्चित टॉपर्स घोटाले का असर अब पिछले सालों के टॉपर्स पर भी होने लगा है. कल तक जो छात्र शान से खुद को राज्य का टॉपर बताते थे, अब वे टॉपर कहलाने पर शर्म महसूस करते हैं.
2009 में 12वीं की परीक्षा में साइंस टॉपर रहे अमन राज ने अपने बायोडाटा से टॉपर का टैग इसलिए हटा लिया, जिससे भविष्य में इंटरव्यू में इस कारण उन्हें असफलता का मुंह न देखना पड़े.
ऐसी ही कुछ कहानी 2014 में कॉमर्स टॉपर अविनाश की है. वो भी अब टॉपर नहीं कहलाना चाहते.
इस साल टॉपर रूबी ने टीवी चैनलों पर पॉलिटिकल साइंस को ‘प्रोडिकल साइंस’ बताते हुए कहा था कि इसमें खाना बनाने की पढ़ाई होती है. इसी तरह साइंस टॉपर सौरव कुमार को ‘प्रोटोन’ और ‘इलेक्ट्रॉन’ की सामान्य जानकारी भी नहीं थी.
नीतीश सरकार ने इस मामले की जांच के लिए स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) गठित की है. इस मामले में अब तक 23 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
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