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गर्मियों का मौसम है और बच्चों की छुट्टियां हैं, क्या आप भी सोच रहे है कि कहां घूमने जाए, नैनीताल, मनाली, देहरादून में बहुत भीड़ है और आप चाहते है सुकून. तो बिहार (Bihar Tourism) है, आपके लिए परफेक्ट टूरिस्ट प्लेस. भारत के पूर्व में बसा शहर बिहार जो ऐतिहासिक धरोहरों को अपने अंदर समेटे हुए है, साथ ही प्रकृति की गोद में बसे इस शहर में पहाड़ों से लेकर झरने तक इसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं. आईये हम आपको दिखाते हैं बिहार की एक अलग तस्वीर.
राजधानी पटना से 158 किमी दूर तुतला भवानी झरना स्थित है, यह तिलौथु के पास और डेहरी-ऑन-सोन से लगभग 20 किमी दक्षिण पश्चिम में है. तुतला भवानी में ना सिर्फ वॉटरफॉल है बल्कि भव्य मंदिर भी है, जहां यह मान्यता है कि मंदिर में दर्शन से पहले इस जल प्रताप में स्नान करना होता है. कैमूर की पहाड़ियों के बीच स्थित यह विशाल झरना है और घाटी के बीच में कछुआर नदी बहती है. बता दें, कि यह बिहार के रोहतास जिले में स्थित है, जहां पहुंचने के लिए रोहतास जिले में आने के बाद डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन से दक्षिण की ओर तिलौथू (17 किमी) के लिए बस पकड़नी होती है. तिलौथू जाने के बाद पश्र्चिम से 7 किलोमीटर जाने पर आसानी से तुतला भवानी वॉटरफॉल तक जा सकते हैं.
सासाराम से 10 किमी दूर कैमूर पहाड़ी पर स्थित है मंझार कुंड- धुआं कुंड झरना. यह खूबसूरत झरने जो आपको इस चिलचिलाती गर्मी में ठंडी हवा और सुकून तो देंगे ही साथ ही यहां आप कुछ समय परिवार या दोस्तों के संग काम की उलझन से दूर बिता सकते हैं.
मंझर कुंड पर सिख समुदाय के लोग तीन दिन तक रुकते हैं. बता दें, पहाड़ियों पर काव एवं कुदरा नदी का पानी गिरता है. कहा जाता है कि कुंड का पानी प्राकृतिक खनिजों से भरपूर होता है और भोजन को पचाने में बहुत मददगार होता है. राजधानी पटना से यह 184 किमी दूर है.
कशिश जल प्रपात, राजधानी पटना से 170 किमी दूर बिहार के रोहतास जिले के अमझौर पंचायत में स्थित है. अगर आपको शहर के शोर से दूर प्रकृति की सुनहरी धुन सुननी है, साथ ही कल कल करती पानी की आवाज जो आंखों के साथ मन को भी ठंडक पहुंचाती है तो जाए कशिश वॉटरफॉल. तरह तरह के पेड़ पौधे , पक्षियों की चहचाहट, पहाड़ से गिरते पानी का संगीत, मानो आपको ऐसा लगेगा कि आप प्रकृति की गोद में जाकर बैठ गए हो. बता दें,बारिश के मौसम में बिहार में 200 से ज्यादा जल प्रपात दिखाई देते हैं और कशिश उनमें से एक है.
राजधानी पटना से 152 किमी दूर बिहार का रोहतास जिला सूफी संतों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. यहां पर हर 5 से 10 किलोमीटर की दूरी पर कोई ना कोई ऐतिहासिक धरोहर मिल जाती है, जिसका इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज है. उन्हीं में से एक है रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम स्थित शेरशाह सूरी का विशाल मकबरा. 52 एकड़ तलाब के बीचो-बीच स्थित शेरशाह सूरी का यह मकबरा विश्व के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक माना जाता है.
कावर झील जिसे स्थानीय रूप से काबर ताल भी कहते हैं, बिहार के बेगूसराय जिले में मीठे पानी की उथली झील है. यह झील जिला मुख्यालय बेगूसराय से तकरीबन 22 किलोमीटर उत्तर में और बिहार की राजधानी नगर पटना से 127 किलोमीटर दूर है. इस झील और आसपास की नमभूमि (वेटलैंड) को पक्षी विहार का दर्जा प्राप्त है. यहां जाड़ों में काफी प्रवासी पक्षी आते हैं जिनमें विदेशी पक्षी भी शामिल हैं. झील के नजदीक ही जय मंगल गढ़ के नाम से एक मंदिर भी है.
करटकटगढ़ जल प्रताप रोहतास और कैमूर की पहाड़ियों पर प्रकृति की गोद में बसा एक खूबसूरत ठिकाना हैं, इस गर्मी के मौसम में भी यहां चलती ठंडी हवा इस जगह को इस गर्मी के मौसम में और भी खास बनाती है. राजधानी पटना से यह जगह केवल 230 किमी की दूरी पर है.
राजगीर में 22 एकड़ में फैला हुआ क्षेत्र पांडु पोखर है जिसने अपने अंदर महान भारतीय इतिहास को समेट रखा है. यह महाभारत काल के इतिहास को दृशाता हैं. इसमें इस बात की कहानी छुपी है कि कैसे पांडवों के पिता राजा पांडु ने राजगृह पर हमला कर उस स्थान को घुड़शाल में बदल दिया. कहा जाता है कि जब उन्होंने इस स्थान को छोड़ा तो एक स्वाल बनाया गया और बाद में बारिश का पानी स्वाले में जमा हो गया और इसी तरह ऐतिहासिक पांडु पोखर अस्तित्व में आया. यह खूबसूरत जगह पटना से 102 किमी दूर है.
ककलोत जलप्रपात नवादा जिले में एक झरना है, यह झरना किसी जन्नत से कम नहीं है और बिहार के सबसे ठंडे इलाकों में से एक है. बता दें. झरने का पानी पूरे साल के लिए ठंडा रहता है. इस झरने कि ऊंचाई जमीन के स्तर से लगभग 150 से 160 फीट है. नवादा में स्थित यह झरना राजधानी पटना से 144.6 किमी की दूरी पर है.
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