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"आज सचमुच में मेरे लिए नया साल है. मेरी आंखों में राहत के आंसू हैं. डेढ़ साल से ज्यादा समय के बाद आज पहली बार मैं ठीक से हंसी हूं", बिलकिस बानो (Bilkis Bano) ने सोमवार, 8 जनवरी को एक बयान में कहा. सुप्रीम कोर्ट ने उनके मामले में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के आदेश को रद्द कर दिया है.
उनकी वकील शोभा गुप्ता के माध्यम से जारी बयान में बानो के हवाले से कहा गया है:
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि "मैंने पहले भी कहा है और मैं आज फिर से कह रही हूं, मेरी जैसी ये यात्रा कभी अकेले नहीं की जा सकती. मेरे पति और मेरे बच्चे मेरे साथ हैं. मेरे पास ऐसे दोस्त हैं, जिन्होंने नफरत के समय भी मुझे बहुत प्यार दिया और हर मुश्किल मोड़ पर मेरा हाथ थामे रखा. मेरे पास एक असाधारण वकील हैं जो 20 सालों से मेरे साथ चल रही हैं. उन्होंने मुझे कभी न्याय के लिए अपनी उम्मीदें नहीं खोने दीं."
"फैसले के बाद बिलकिस बहुत खुश थीं, वह रोने लगीं. ये खुशी के आंसू थे. तमाम उथल-पुथल के साथ उन्होंने एक लंबी लड़ाई लड़ी है, लेकिन इससे हमें बहुत सुकून मिला है."
बिलकिस बानो की वकील शोभा गुप्ता ने द क्विंट को यह बात तब बताई, जब सोमवार, 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट और समय से पहले रिहाई को रद्द कर दिया.
11 दोषियों को दो हफ्ते के अंदर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश देते हुए, जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा कि गुजरात सरकार सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए "सक्षम नहीं" थी.
शोभा गुप्ता ने कहा कि फैसले के तुरंत बाद, उन्होंने बिलकिस बानो को वीडियो कॉल किया, जो "खबर सुनकर बहुत खुश थीं."
द क्विंट से बात करते हुए शोभा गुप्ता ने कहा कि फैसला आने में काफी वक्त लग गया. बाधाओं के बावजूद, बिलकिस को हमेशा "न्यायपालिका पर गहरा भरोसा था, इसीलिए उन्होंने याचिका दायर करने का फैसला किया."
उन्होंने कहा कि फैसले ने महिलाओं को न्यायपालिका में संतुष्टि और विश्वास की भावना प्रदान की है.
दोषियों की रिहाई के छह दिन बाद 21 अगस्त 2022 को द क्विंट के साथ एक इंटरव्यू में, बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल ने कहा था कि वो सदमे में थी.
उन्होंने कहा था कि बिलकिस तो इतनी मायूस है कि उसने अभी तक किसी से बात नहीं की है. उसका दिल दुखा है और उसके मन में डर बैठ गया है.
सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने माना कि 13 मई 2022 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश (जिसमें गुजरात सरकार को 1992 की नीति के अनुसार छूट तय करने का निर्देश दिया गया था) "धोखाधड़ी और तथ्यों को छिपाकर" प्राप्त किया गया था.
जस्टिस नागरत्ना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि छूट के आदेश पारित करने वाली सरकार, महाराष्ट्र सरकार (जहां मामले की सुनवाई हुई) होगी.
उन्होंने आगे कहा कि मैं शुरू से ही स्पष्ट रही हूं कि यह एक ऐसा मामला है, जहां दोषियों को केवल अपराध की प्रकृति के कारण छूट नहीं दी जा सकती. ऐसे मामले में सुधार का कोई अधिकार नहीं हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ, शोभा गुप्ता का मानना था कि अदालत ने इस मामले के लिए पालन किए जाने वाले साफ दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं.
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