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Bindeshwar Pathak Death: सुलभ शौचालय को बिहार से निकाल इंटरनेशनल ब्रांड बनाने वाले

पद्म भूषण बिंदेश्वर पाठक का 80 वर्ष की उम्र में निधन, राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी ने जताई शोक संवेदना

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भारत
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Bindeshwar Pathak

(क्विंट हिंदी)

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सुलभ इंटरनेशनल (Sulabh International) के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक (Bindeshwar Pathak) का मंगलवार, 15 अगस्त को दिल्ली के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) समारोह के दौरान 80 वर्षीय पद्म भूषण विजेता बिंदेश्वर पाठक ने बेचैनी की शिकायत की थी.

सुलभ इंटरनेशनल के एक बयान के अनुसार, इसके बाद उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया गया. हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया.

कौन थे बिंदेश्वर पाठक ?

सुलभ इंटरनेशनल की वेबसाइट के मुताबिक, डॉ. बिंदेश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बाघेल गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनकी मां योगमाया देवी थीं और उनके पिता रमाकांत पाठक थे. दोनों समुदाय के एक सम्मानित सदस्य थे.

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक के रूप में, पाठक ने अपना जीवन शिक्षा के माध्यम से मानवाधिकारों, पर्यावरणीय स्वच्छता, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों और अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया.

बिंदेश्वर पाठक ने 1970 में बिहार से सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की.

तब से बिंदेश्वर पाठक मलिन बस्तियों, ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों में लोगों की पुरानी, ​​अस्वच्छ शौचालय की आदतों को देखने के तरीके को बदलने के लिए काम कर रहे थे. उन्होंने किफायती शौचालय प्रणालियां बनाईं जिसका उद्देश्य लाखों लोगों के जीवन को बेहतर और स्वस्थ बनाना था.

सुलभ इंटरनेशनल

बिंदेश्वर पाठक भारत में 'बाल्टी वाले शौचालयों' से मानव अपशिष्ट को मैन्युअल रूप से साफ करने की प्रथा को समाप्त करने का भी प्रयास कर रहे थे.

डॉ. पाठक महात्मा गांधी से प्रेरित थे. उनके कामों और लोकाचार ने संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों में आंतरिक रूप से योगदान दिया है.

स्वच्छता के प्रति पाठक के अभिनव दृष्टिकोण के कारण 1749 कस्बों में शुष्क शौचालयों को दो गड्ढों वाले फ्लश शौचालयों में बदला गया और 160,835 से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया.

बिंदेश्वर पाठक भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण के प्राप्तकर्ता हैं.

भारतीय रेलवे ने मिलाया हाथ, कई पुरस्कार भी जीते

भारतीय रेलवे ने नवंबर 2016 में सुलभ इंटरनेशनल से हाथ मिलाया था और रेलवे परिसरों को साफ रखने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए बिंदेश्वर पाठक को अपने स्वच्छ रेल मिशन का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया था.

2003 में उन्हें ग्लोबल 500 रोल ऑफ ऑनर में शामिल किया गया और 2009 में, उन्हें प्रतिष्ठित स्टॉकहोम वॉटर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी अन्य उपलब्धियों में एनर्जी ग्लोब अवार्ड, सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए दुबई इंटरनेशनल अवार्ड और पेरिस में फ्रांसीसी सीनेट से लीजेंड ऑफ प्लैनेट अवार्ड शामिल हैं.

2020 में, एक सोशल इन्नोवेटर के रूप में उनके काम का विवरण देने वाली एक पुस्तक, 'नमस्ते, बिंदेश्वर पाठक!' प्रकाशित किया गया था.

न्यूयॉर्क में उनके नाम पर एक दिन भी मनाया गया. 2016 में मेयर बिल डी ब्लासियो ने 14 अप्रैल को बिंदेश्वर पाठक दिवस के रूप में घोषित किया.

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राष्ट्रपति और पीएम ने जताया दुःख 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्‍वर पाठक के निधन पर शोक प्रकट किया. पीएम मोदी ने एक ट्वीट में लिखा कि, "डॉ. बिंदेश्‍वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है. वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया. बिंदेश्‍वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन बनाया. उन्होंने स्मारकीय समर्थन प्रदान किया. स्वच्छ भारत मिशन. हमारी विभिन्न बातचीत के दौरान, स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखाई देता था.''

वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लिखा कि, " बिंदेश्‍वर पाठक के निधन की खबर बेहद दुखद है. राष्ट्रपति ने कहा, "उन्होंने शौचालय बनाकर स्वच्छता सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाया, उन्होंने कहा कि पाठक को पद्म भूषण और कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था."

राष्ट्रपति ने आगे कहा, "मैं उनके परिवार और सुलभ इंटरनेशनल के सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं."

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