Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019देश में मंदी तो है! लेकिन ये मंत्री हैं कि मानते ही नहीं...

देश में मंदी तो है! लेकिन ये मंत्री हैं कि मानते ही नहीं...

फिलहाल, हालात ये है कि मंहगाई दर बढ़ी हुई है और जीडीपी के 5% तक गिरने का डर दिख रहा है.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
i
null
null

advertisement

देश में आर्थिक मंदी है या नहीं? बहस जारी है, कुछ इकनॉमिस्ट कर रहे हैं कि स्लोडाउन है तो सरकार के मंत्री अपने तर्कों के जरिए साबित करने की कोशिश में हैं कि मंदी जैसी कोई चीज नहीं है. फिलहाल, हालात ये है कि मंहगाई दर बढ़ी हुई है और जीडीपी के 5% तक गिरने का डर दिख रहा है. इस साल के दूसरे क्वॉर्टर में GDP का अनुमान 4.25% से 4.75% है. SBI ने तो यहां तक कह दिया है कि पहले GDP का जो उनका अनुमान 6.1% का था,उसे घटा कर 5% कर रहे हैं. अब ऐसे में इन आंकड़ों के बावजूद सरकार के मंत्री इकनॉमिक स्लोडाउन को नहीं मान रहे हैं.

ताजा तर्क आया है, रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी ने मंदी जैसे हालात के बचाव में अजीब बयान दिया है. अंगड़ी का कहना है कि लोग शादी कर रहे हैं, ट्रेन में बुकिंग फुल है, इसलिए मंदी है ही नहीं.

अंगड़ी अकेले ऐसे मंत्री नहीं हैं, जिन्होंने मंदी पर अजीबोगरीब लॉजिक पेश किया है.

मंदी पर रविशंकर प्रसाद का तर्क

इससे पहले अक्टूबर में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने देश में आर्थिक मंदी को सिरे से खारिज कर दिया था. उन्होंने, 2 अक्टूबर को रिलीज हुई तीन ब्लॉकबस्टर फिल्मों की कमाई का हवाला देते हुए कहा, ‘तीन फिल्मों ने एक दिन में 120 करोड़ रुपये की कमाई की है, 120 करोड़ रुपये ऐसे देश में आते हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था अच्छी होती है.’

इस बयान पर हंगामा मचने के बाद रविशंकर प्रसाद ने बयान वापस ले लिया. हालांकि इसमें उन्होंने अपने आंकड़ो को सही ठहराया है और अपने बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किए जाने का आरोप लगाया.

ओला-उबर की वजह से ऑटो सेक्टर में मंदी: वित्त मंत्री

रविशंकर प्रसाद के बयान से करीब एक महीने पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी कुछ ऐसे ही तर्क दे चुकी थीं. वित्त मंत्री का कहना था कि ऑटो सेक्टर में जो मंदी आई है उसकी जिम्मेदार ओला-उबर जैसी कंपनियां हैं. उन्होंने कहा था कि मिलेनियल आजकल गाड़ी खरीदने की जगह ओला-उबर को तवज्जो दे रहे हैं.

‘सावन-भादो में तो मंदी रहती ही है’

बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी की आर्थिक मंदी पर अलग ही थ्योरी है. सुशील मोदी का कहना है कि हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है, लेकिन इस बार मंदी का ज्यादा शोर मचाकर कुछ लोग चुनावी हार की खीझ निकाल रहे हैं. सुशील मोदी ने ये भी कहा, "बिहार में मंदी का खास असर नहीं है, इसलिए वाहनों की बिक्री नहीं घटी.’’

मंदी का 'आइंस्टीन' लॉजिक

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी मंदी पर एकदम नया लॉजिक दिया है. गोयल ने कहा, ‘अगर आइंस्टीन ने आंकड़ों और गणित की चिंता की होती तो वो कभी भी ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण) के नियम की खोज नहीं कर पाते.’ गोयल के इस बयान की सोशल मीडिया पर खूब मजाक उड़ा है. देखते ही देखते ट्विटर पर न्यूटन और आइंस्टीन ट्रेंड करने लगे.

दरअसल, गुरुत्वाकर्षण की खोज न्यूटन (1642-1727) ने की थी. वहीं, आइंस्टीन (1879-1955) ने थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी की खोज की थी. बाद में गोयल ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने बयान एक खास संदर्भ में दिया था लेकिन कुछ लोगों ने उसे संदर्भ से हटा दिया, एक लाइन पकड़कर शरारती नैरेटिव बनाने लगे.

ये भी जरूर पढ़ें- अभी तो ये झांकी है, क्या बड़ी वाली मंदी बाकी है?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT