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यूपी चुनावः सर्जिकल स्ट्राइक के लिए लखनऊ में BJP का वॉर रूम तैयार

यूपी इलेक्शन के लिए यूं तैयार है बीजेपी का वॉर रूम, बीजेपी की तैयारियों पर नोटबंदी का भी नहीं पड़ा कोई असर

शंकर अर्निमेष
भारत
Published:
(फोटोः BJP)
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(फोटोः BJP)
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समाजवादी पार्टी को छोड़कर हर पार्टी ने यूपी चुनाव जीतने के लिए अपने खजाने से तीर तरकश निकाल लिए हैं. बीजेपी का लखनऊ वॉर रूम पूरी तरह से चुनाव के सर्जिकल स्ट्राइक के लिए तैयार है. साफ है कि बीजेपी के वॉर रूम पर नोटबंदी का भी कोई असर नहीं हुआ है.

यूपी में बीजेपी की परिवर्तन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री की 7 रैलियों के अलावा बीजेपी सात चरण के चुनाव में 10 से ज्यादा मेगा रैलियां करने जा रही है. जरूरत पड़ने पर बीजेपी एक क्षेत्र में एक से ज्यादा रैली भी कर सकती है. पहले चरण की शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होगी, जिसकी तैयारियों के लिए बीजेपी का वॉर रूम सजकर तैयार है.

बीजेपी का वॉर रूम

10 जोन में बंटे बीजेपी वॉर रूम को संभालने का काम आईआईटी और आईएमएम के युवा और अनुभवी प्रोफेशनल के जिम्मे है. इनमें से कई असम चुनाव में बीजेपी के वॉर रूम में काम कर चुके हैं. सबसे मजबूत जोन सोशल मीडिया जोन है, जो 24 घंटे वॉट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर के जरिये पार्टी के संदेशों, बहसों और कैंपैंन को एक दिशा देने में जुटा है.

बीजेपी के आईटी सेल की कमान संभाल रहे संजय राय के मुताबिक, बीजेपी ने 8000 वॉट्सऐप ग्रुप बनाए हुए हैं, जिनसे एक क्लिक पर 12 लाख मैसेज प्रतिदिन वॉट्सऐप में भेजे जा सकते हैं, जिसका असर राज्य की 4.5 करोड़ जनता तक हो सकता है.

यूपी बीजेपी के फेसबुक पेज पर बाकी दलों के मुकाबले न केवल ज्यादा गतिविधि है बल्कि 1.3 करोड़ के लाईक्स पेज की गतिविधियों को लगातार संचालित करते हैं. पार्टी ने हर जिले में पार्टी के आईटी सेल के बनाए मोबाइल एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के लिए वाईफाई जोन के शिविर लगाए हैं, जहां बीजेपी कार्यकर्ता आम जनता को बीजेपी के मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड करने में मदद करते हैं, जिनके जरिये जनता प्रधानमंत्री के भाषण सीधे लाईव सुन सकती है. उनके फोटो को स्क्रीनसेवर के तौर पर लगा सकती है.

वीडियो जोन

वॉर रूम में एक जोन पूरे प्रदेश में घूम रहे जीपीएस संचालित 400 वीडियो वैन और 1650 बाईक को ट्रैक कर रहा है, जो साल 2014 के लोकसभा चुनाव की ही तर्ज पर बीजेपी के ड्रार्क जोन में प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों को और खासतौर पर बनाए कैंपैंन वीडियोज को गांव गांव दिखा रहा है. इनकी हर मिनट की लोकेशन वीडियो जोन में बैठे प्रोफेशनल्स को मिल रही है और पार्टी संगठन के बनाए रूट के हिसाब से इनकी दिशा मोड़ी और निर्धारित की जा सकती है. ये वीडियो वैन और बाईक्स अब तक 30 लाख लोगों तक पहुंच चुके हैं और मतदान शुरू होने तक 1 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य है.

लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने खुलासा किया था कि यूपी में 80 में से 73 लोकसभा सीटें जीतने वाली बीजेपी के कैंपैंन की सबसे बड़ी अनोखी बात ये थी कि जहां प्रचार का कोई माध्यम टीवी, अखबार, रेडियो नहीं पहुंच सकता था, वहां मोदी को 3डी वीडियो वैन के जरिये कम समय में पहुंचाया गया. यूपी में बीजेपी ने इस बार कम समय में ज्यादा लोगों तक प्रधानमंत्री के संदेश को पहुंचाने के लिए मोटर बाइक्स को भी उतारा है.

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वॉर जोन में आईटी कंपनियों की तरह पूरा 110 सीटों का कॉल सेंटर बनाया गया है, जहां बैठे प्रोफेशनल्स 1.4 लाख बूथ कमेटियों से लगातार संवाद करते हैं. इसके लिए दिनभर में 250 से ज्यादा फोन कॉल्स किए जाते हैं. हर बूथ कमेटी की उस दिन की गतिविधि और उस इलाके में कैंपेन की दशा-दिशा की जानकारी पल-पल लखनऊ हेडक्वार्टर में बैठे संगठन मंत्री सुनील बंसल या राज्य के प्रभारी ओममाथुर सुबह और शाम लेते रहते हैं.

मीडिया मॉनिटरिंग जोन

मीडिया मॉनीटिंग जोन में देश के सभी राष्ट्रीय और यूपी के क्षेत्रीय न्यूज चैनलों के कंटेंट पर अनुभवी टीम की 24 घंटे पैनी नजर बनी रहती है. यूपी चुनाव से जुड़ी किस न्यूज चैनल के बहस की दिशा पार्टी के एजेंडे के करीब है या किस एंकर के प्रोग्राम के कंटेंट से विपक्षी दलों को फायदा मिल रहा है. इसकी न केवल समीक्षा की जाती है बल्कि उस चैनल के संबंधित एंकर और संवाददाता को बैकग्राउंड ब्रीफिंग हेडक्वाटर्र में मौजूद संगठन के स्पिन डॉक्टर देते रहते हैं.

रिसर्च जोन

वॉर रूम के इस हिस्से में चुनावी सर्वेक्षण करने वाले चुनावी प्रोफेशनल और चाणक्यों की एक टीम है, जो न केवल प्रतिदिन के चुनावी बयार को अपने सॉफ्टवेयर में डाल हवा का अंदाजा लगाती रहती है, बल्कि जमीन पर चल रहे संघ और बीजेपी के चुनावी सर्वेक्षण के लिए फीडबैक भी उपलब्ध कराती है. इसी टीम की जिम्मेदारी कैंपैंन में जाने वाले नेताओं को मुद्दों, विधानसभा प्रोफाइल, टॉकिंग प्वाइंट उपलब्ध कराना भी है. वॉर रूम के इस हिस्से के दर्जनों प्रोफेशनल हर मिनट डेडलाइन के हिसाब से आंकड़ों की दुनिया में गोते लगा रहे होते हैं.

रैली जोन

संचार के आधुनिकतम तरीकों का जमकर इस्तेमाल कर रहे बीजेपी के वॉर रूम में परंपरागत प्रचार कैंपेन को निर्देशित करने के लिए पार्टी के अनुभवी नेताओं का पूरा जत्था है, जो सीधे प्रभारी ओममाथुर और संगठन प्रभारी सुनील बंसल को रिपोर्ट करते हैं. सातवें फेज में होने वाले चुनावों के हिसाब से कार्यकर्ताओं का बूथ सम्मेलन, माटी मिलन सम्मेलन, संक्रान्ति उत्सव जैसी दर्जनों गतिविधियां संगठन ने अगले एक महीने के लिए तैयार कर रखी हैं. वॉर रूम का ये हिस्सा ही प्रधानमंत्री की होने वाली 10 मेगा रैलियों की कमान संभाले हुए है.

बीजेपी के वॉररूम के अलावा चुनावी होर्डिंग्स, जिंगल्स और वीडियों कंटेंट बनाने के काम को 2014 में चुनावी कैंपैंन को संभाल चुकी मुंबई की दो विज्ञापन एजेंसी को पहले ही दिया जा चुका है. लेकिन पूरे चुनाव प्रबंधन के लिए केन्द्रीय वॉर रूम के अलावा बीजेपी ने पूरे प्रदेश को 6 जोन में बांटकर क्षेत्रीय वॉर रूम भी स्थापित कर चुकी है.

6 जोन में बंटा यूपी, कमान संभालेंगे 12 प्रभारी

पूरे प्रदेश के बीजेपी प्रचार कैंपेन  के संचालन और प्रबंधन के लिए बीजेपी ने पूरे प्रदेश को 6 जोन में बांटकर 6 चुनावी प्रभारी और इतने ही संगठन प्रभारी नियुक्त किए हैं. तीन स्तरीय चुनावी प्रबंधन में पहला स्तर पार्टी के 6 इलाकों में नियुक्त किए गए चुनावी प्रभारियों में बृज क्षेत्र के प्रभारी दिल्ली के रमेश विधूड़ी हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वीरेन्द्र खटीक, बनारस के सुनील ओझा, गोरखपुर का बिहार के रामेश्वर चौरसिया को बनाया गया है. वहीं अवध की जिम्मेदारी बिहार बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मंगल पांडे को सौंपी गई है. कानपुर क्षेत्र की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को सौंपी गयी है.
लखनऊ हेडक्वाटर्र में प्रंबंधन को बिहार के दिग्गज नेता नंदकिशोर यादव को संभालने को दिया गया है. दूसरे स्तर पर पूरे चुनावी कैंपेन और प्रत्याशियों के चयन के काम को यूपी प्रभारी ओममाथुर और संगठन प्रभारी सुनील बंसल संभाल रहे हैं और 12 जोनल प्रभारियों को दिशा निर्देश दे रहे हैं. सबसे ऊपरी स्तर पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह प्रतिदिन ओममाथुर, सुनील बंसल के अलावा कैंपेन में जुटे 50 नेताओं की जम्बो टीम से फीडबैक ले रहे हैं.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए यह बड़े स्टेक का चुनाव है, जहां वो कोई भी गलती को दुहराने का दुस्साहस नही कर सकते. बिहार की गलतियों से बीजेपी अध्यक्ष ने काफी कुछ सीखा है. जिम्मेदारियों को राज्य के बीजेपी नेताओं में विभाजित किया गया है लेकिन पूरी कमान अमित शाह के हाथ ही है.

बीजेपी हेडक्वाटर्र पर चलने वाली दिन की बैठकें देर रात तक चलती रहती हैं और सभी नेताओं को किसी भी समय चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए उपस्थित रहने को कहा गया है. इसमें हर जिले में मौजूद जिला अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, जोनल प्रभारी शामिल हैं. अमित शाह जानते हैं कि बीजेपी अगर यूपी हारी तो 2019 में साहेब को दोबारा दिल्ली पर बिठाना आसान नहीं होगा.

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