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दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 मई को अंतरिम राहत देते हुए एम्फोटेरिसिन-बी के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट को मंजूरी दे दी है. इस दवा का भारत में तेजी से फैल रहे घातक रोक ब्लैक फंगस के इलाज में किया जाता है. कोर्ट ने कहा है कि दवा का ड्यूटी फ्री इंपोर्ट तब तक किया जा सकता है जब तक केंद्र सरकार कस्टम ड्यूटी माफ करने पर फैसला कर रही है. लेकिन कोर्ट ने इसके लिए बॉन्ड भरने को कहा है.
हाईकोर्ट ने कहा कि 'ब्लैक फंगस से हजारों लोगों की जान बचाने के लिए इस दवा की जरूरत है और जब तक भारत में इसकी कमी है तब तक केंद्र सरकार गंभीरता से इसकी कस्टम ड्यूटी माफ करने का गंभीर प्रयास करेगी.'
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह ने अपने ऑर्डर में कहा-
जजों ने कहा है कि उन्होंने ये भरोसा दिया गया है कि कस्टम ब्लैक फंगस से जुड़ी दवाओं से जुड़े सभी कंसाइनमेंट क्लियर करेगा. इसमें देरी नहीं की जाएगी.
कोरोना वायरस की दूसरी लहर का हाहाकर थमना शुरू हुआ था कि अब ब्लैक फंगस नाम की घातक बीमारी अपने पैर तेजी से पसार रही है. ताजा डेटा के मुताबिक भारत में 26 मई तक ब्लैक फंगस के 11,717 केस मिल चुके हैं. कई राज्यों में ये घातक बीमारी तेजी से फैल रही है.
म्यूकोरमाइकोसिस का सबसे ज्यादा संक्रमण गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में देखने को मिल रहा है. केंद्र सरकार पहले ही राज्य सरकारों से इसे महामारी घोषित करने का ऐलान कर चुकी थी, जिसके तहत अब तक 11 राज्य ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुके हैं.
ब्लैक फंगस का इलाज काफी महंगा है. हालांकि कई सारे राज्यों ने इस बीमारी का इलाज मुफ्त में करने का ऐलान किया है. 26 मई को केंद्रीय मंत्री ने बताया है कि एम्फोटेरिसिन के 29 हजार से ज्यादा इंजेक्शन राज्यों को दिए गए हैं.डॉक्टर्स बताते हैं कि ब्लैक फंगस डिटेक्ट होने के साथ ही इसका इलाज शुरू होना ही चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो इंफेक्शन बढ़ने और जान जाने की संभावना बढ़ जाती है. सरकारी हॉस्पिटल्स में तो ब्लैक फंगस का इलाज मुफ्त में दिया जा रहा है. लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में इसके इलाज में 10 से 15 लाख रुपये तक का खर्च आ रहा है.
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