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ब्लैकमनी पर तगड़ी चोट, स्विस बैंक को सरकार से पोल खोलने की मंजूरी

स्विट्जरलैंड से कालेधन से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए अभी भी 2 साल का समय लगेगा.

द क्विंट
भारत
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(फोटो: iStock)  
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सरकार को विदेशों में जमा होने वाले कालेधन को लेकर बड़ी सफलता हासिल हुई है. स्विट्जरलैंड की अहम संसदीय समिति ने भारत के नागरिकों के वित्तीय खातों और कालेधन से जुड़ी जानकारी को साझा करने की मंजूरी दे दी है.

स्विट्जरलैंड संसद के अपर हाउस ने भारत समेत 40 दूसरे देशों को सूचनाएं प्रदान करने की ऑटोमेटिक प्रणाली को मंजूरी दी. लेकिन इसके साथ समिति ने व्यक्तिगत कानूनी दावों के प्रावधानों को मजबूत करने का भी सुझाव दिया है.

व्यक्तिगत दावे पर है पेच

समिति की दो नवंबर की अंतिम बैठक के मुताबिक उसने अपने देश की सरकार को संसद में एक कानून संशोधन प्रस्ताव रखने को कहा है, जो व्यक्तिगत कानूनी संरक्षण को मजबूत करने वाला हो. इसके साथ ही समिति ने ये तय करने को कहा है कि ऐसे किसी मामले में जहां व्यक्तिगत दावे के आवश्यक कानूनी अधिकार का उल्लंघन हो रहा हो उनमें सूचनाओं का आदान प्रदान नहीं होना चाहिए. इस प्रस्ताव को अब मंजूरी के लिए संसद के 27 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में संसद के अपर हाउस में रखा जाएगा.

क्या होगा फायदा?

इस करार से अभी तक कालेधन के सुरक्षित पनाहगाह रहे स्विट्जरलैंड से कालाधन रखने वालों का लगातार ब्योरा मिल सकेगा. करार के तहत ऐसे लोगों और कंपनियों के अकाउंट नंबर, नाम, पता, जन्म की तारीख, टैक्स आइडेंटिटी नंबर, इंटरेस्ट, बीमा पॉलिसी से मिली रकम के बारे में जानकारी ऑटोमैटिक मिलेगी.
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2019 से शुरू होगा ये सिस्टम

स्विट्जरलैंड सरकार का ये फैसला 2018 में शुरू लागू हो सकता है और इसके लिए आंकड़ों की साझेदारी 2019 में शुरू होगी.

मतलब साफ है कि स्विट्जरलैंड से कालेधन से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए अभी भी 2 साल का समय लगेगा. स्विट्जरलैंड जल्द ही भारत को सूचनाओं के साझा करने की तारीख भारत को बता देगा.

बता दें कि भारत में कालाधन एक बड़ा मुद्दा है. ऐसा भी सोचा जाता है कि देश के कई लोगों ने अपनी काली कमाई स्विट्जरलैंड के बैंक खातों में छुपा रखी है. इसको ध्यान में रखते हुए भारत स्विट्जरलैंड समेत कई देशों के साथ अपने देश के नागरिकों के बैंकिग सौदों के बारे में सूचनाओं को साझा करने का प्रयास करता आया है. अब स्विट्जरलैंड के इस कदम के बाद कालेधन को खपाने और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम कसी जा सकेगी.

(इनपुट: भाषा)

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Published: 19 Nov 2017,06:30 PM IST

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