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बॉयज लॉकर रूम मामले का भांडा कुछ और बदतर सामने आने से पहले खुद इसके जाल में फंसे पीड़ित छात्र-छात्राओं की लड़ाई के चलते फूट गया. न तो इस बारे में पहले से पुलिस को कोई शिकायत मिली थी और न ही पुलिस के पास ब्लैकमेलिंग के इस घिनौने खेल के बारे में खुद से कोई जानकारी मौजूद थी. यह तमाम तथ्य भी पांच दिन से चली आ रही दिल्ली पुलिस साइबर सेल की अब तक की तफ्तीश से ही हुई है.
इस खेल में फंसे या इस खेल को खेल रहे 15 से ज्यादा लोगों से दिल्ली पुलिस की साइबर सेल अब तक पूछताछ कर चुकी है. 10 मोबाइल फोन भी पुलिस जब्त कर चुकी है. नई बात यह है कि, ज्यों-ज्यों दिल्ली पुलिस साइबर सेल के पांव जांच के लिए दिल्ली से बाहर बढ़ रहे हैं, त्यों-त्यों इसमें फंसने वाले खुद को छिपाने में लगे हैं.
आईएएनएस को यह तमाम तथ्य भी दिल्ली पुलिस साइबर सेल से जुड़े एक आला अफसर के जरिये ही पता चले हैं. खुद की पहचान उजागर न करने की शर्त पर इस अफसर ने कहा, "दरअसल यह चेन सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है. इसमें अब गुरुग्राम और नोएडा तक भी जांच पहुंच रही है. अब तक हुई जांच के दौरान नोएडा के एक मशहूर अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने वाले एक छात्र का नाम भी सामने आ रहा है. इस छात्र के खिलाफ कुछ और सबूत भी जुटाये जा रहे हैं. हालांकि इस मुख्य सूत्रधार आरोपी छात्र का मोबाइल भांडाफोड़ होने के बाद से ही बंद है."
जब मुख्य षडयंत्रकारी का मोबाइल ही नहीं खुल रहा है तो फिर जांच लंबे समय तक अधर में फंसी रहेगी? आईएएनएस के इस सवाल के जबाब में साइबर सेल अधिकारी ने कहा, "नहीं ऐसा नहीं है. आरोपी की लास्ट लोकेशन पता चल गयी है. मोबाइल सीडीआर(कॉल डिटेल रिपोर्ट) से उन नंबरों का पता लगा था, जिन पर आरोपी अधिकांश बात कर रहा था. उन मोबाइल नंबर धारकों का इस केस में फिलहाल कोई रोल सामने नहीं आया है. हां, मोबाइल बंद करके छिपे बैठे आरोपी के बारे में काफी कुछ इन सबने पूछताछ में बता दिया है. पता चला है कि, बॉयज लॉकर रूम तो अब सामने आया है, यह छात्र पहले से ही शरारती किस्म का रहा है. इसका स्कूल रिकार्ड भी अच्छा नहीं रहा."
क्या इस तरह के छात्र के खिलाफ पहले कभी स्कूल ने कोई कठोर कार्रवाई की? पूछने पर साइबर सेल टीम के एक सदस्य ने कहा,
इस तरह तो और भी बाकी तमाम आरोपी भी मोबाइल बंद करके गायब हो चुके होंगे? पूछने पर दिल्ली पुलिस साइबर सेल टीम के एक सदस्य ने कहा, "नहीं ऐसा नहीं है. ज्यादातर आरोपी और पीड़ित हमारे पास हैं. कुछ ने मोबाइल फोन बंद कर दिये हैं. मगर उनकी सीडीआर हमारे पास है. जल्दी ही यह सब भी पूछताछ में शामिल कर लिए जायेंगे."
जो वांछित हैं उनकी तलाश में पुलिस टीमें छापे कहां कहां मार रही है? पूछे जाने पर इसी अधिकारी ने कहा, "लॉकडाउन चल रहा है. बे-वजह ही हर जगह छापा मारने चले जाना ठीक नहीं है. और फिर इस मामले में अधिकांश जुवेनाइल भी शामिल हैं. पुलिस टीम के बार बार पहुंचने पर आरोपियों के अड़ोसी-पड़ोसी भी दिक्कत कर सकते हैं. क्योंकि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखना पड़ रहा है. हम वहीं जा रहे (छापा मारने) जहां हमें 99 फीसदी आरोपी या फिर पीड़ित के मिलने की उम्मीद होती है."
इंस्टाग्राम से दिल्ली पुलिस साइबर सेल को अब तक जो जानकारियां मिली हैं, वे कितनी मददगार हुई है? पूछने पर टीम के एक सदस्य ने कहा, "कोई विशेष लाभ नहीं हुआ है. इंस्टाग्राम ने जानकारी जो भी मुहैया कराई, उससे कहीं ज्यादा मटीरियल हमारी अपनी जांच से ही हमें मिल चुका है. फिर भी इंस्टाग्राम से मिली जानकारियों को भी हमने जांच में शामिल किया है. क्योंकि कानूनन यह बेहद जरूरी है."
बता दें कि कि इस मामले का भांडाफोड़ पुलिस ने नहीं किया, बल्कि ग्रुप में हुए आपसी फसाद से ही हो गया था. इस बदनाम ग्रुप के एक मेंबर ने क्लासमेट की तस्वीरों पर जब अश्लील कमेंट करने शुरू किये, तब मामला उजागर हुआ. जब इस लड़ाई के स्क्रीन शॉट्स आम नागरिक ने ट्विटर पर वायरल किये, तब यह घिनौना तमाशा सरे-बाजार आ गया.
(इनपुट : आईएएनएस)
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