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गूगल अपने 'इंटरनेट साथी' प्रोग्राम के जरिये महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहा है. इंटरनेट की दुनिया में जेंडर डिवाइड खत्म करने और महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने के मकसद से शुरू किए गए इस प्रोग्राम के अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं.
तमिलनाडु की रहने वाली पलाई ने अपना जो अनुभव साझा किया है, उसे आगे संक्षेप में बताया गया है.
राज्य: तमिलनाडु
जिला: पुडुकोट्टाई
साथी का नाम: पलाई
शिक्षा: BA – B.Ed
मैं पलाई, पुडुकोट्टाई जिले (तमिलनाडु) का रहने वाली हूं. मैं BA ग्रेजुएट हूं, साथ ही साथ बीएड भी किया है. मैं शादीशुदा हूं और मेरे 2 बच्चे हैं. मेरा पति ड्राइवर है.
मैं पढ़ी-लिखी हूं, लेकिन मुझे हमेशा अंग्रेजी में दिक्कत रही है, चाहे बोलना हो, लिखना हो या किसी से बातचीत करनी हो. मैं छठी क्लास तक के बच्चों के ट्यूशन भी पढ़ाती हूं, लेकिन इसी अंग्रेजी की दिक्कत की वजह से मैं इंग्लिश विषय पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाने से मना कर देती हूं.
मेरे जैसे लोग, जो अंग्रेजी नहीं जानते, उनके लिए ये वरदान है. गूगल ने मुझे जो फोन दिया था, मैंने उसमें इंग्लिश टू हिंदी शब्दकोश इंस्टॉल किया. मैं हमेशा गूगल ट्रांसलेटर का इस्तेमाल करती हूं. शुरुआत में मैं नहीं जानती थी कि तमिल कैसे टाइप करना है, लेकिन ट्रेनिंग के बाद मैं सीख गई. अब गूगल ट्रांसलेटर को अच्छे से इस्तेमाल कर लेती हूं.
अगर कोई भी दिक्कत होती है, तो मैं पहले ट्रांसलेटर पर जाता हूं और ठीक वही टाइप करती हूं. धीरे-धीरे में गूगल सर्च इंजन के कीबोर्ड पर तमिल टाइप करना सीख गई. यह मेरे छात्रों के सवाल हल कर में मदद करने लगा.
उदाहरण के लिए, मेरे एक छात्र ने मुझे मुगल साम्राज्य पर निबंध लिखने को कहा. गूगल की मदद से मैंने तमिल में ही सर्च करके सीखा और उसे समझाया. रिव्यू मीटिंग में जिले के प्रभारी ने गूगल वॉयस सर्च के बारे में बताया. इसे सीखकर मुझे लगा कि ये भी काफी आसान है.
अब मैं किसी भी चीज को सर्च करने के लिए अपनी मातृभाषा का इस्तेमाल करती हूं.
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