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बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेना के एक जवान को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में ‘द क्विंट’ की एसोसिएट एडिटर पूनम अग्रवाल के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है. एक स्टिंग वीडियो के लिए पूनम ने इस जवान का इंटरव्यू लिया था.
मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के जस्टिस वी मोरे और भारती हरीश डांगरे ने वीडियो और इसके गैर-संपादित फुटेज देखे. इसे देखने के बाद दोनों ने बुधवार को कहा कि पूनम और दीपचंद के खिलाफ अपराध का कोई मामला नहीं बनता. पिछले साल 29 अगस्त की सुनवाई के दौरान भी इसी बेंच ने पूनम के खिलाफ धारा 306 लगाए जाने पर सवाल उठाया था. बेंच ने कहा था कि सीनियर्स के डांटे जाने के बाद जवान ने खुदकुशी की थी. आरोपियों के उकसाने की वजह से उसने खुदकुशी नहीं की.
पूनम अग्रवाल ने कारगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व सैनिक दीपचंद सिंह की मदद से एक स्टिंग ऑपरेशन किया था. इस स्टिंग में सेना कैंपों में बड़े अफसरों की ओर से अपने मातहतों से छोटे-मोटे काम करवाने के लिए बने 'सहायक सिस्टम' का राज खोला गया था. स्टिंग में दिखाया गया था कि 19 जनवरी 2017 में ‘सहायक सिस्टम’ खत्म कर देने के बावजूद आर्मी कैंपों में यह सिस्टम बदस्तूर चल रहा था.
इस वीडियो के वायरल होने के बाद लांस नायक रॉय मैथ्यू ने 7 मार्च 2017 को फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी. इस स्टिंग वीडियो के लिए रॉय का इंटरव्यू लिया गया था. इसके बाद पूनम और दीपचंद के खिलाफ रॉय को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इनके खिलाफ आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया गया था. एफआईआर में इनपर सरकारी गोपनीयता कानून की धारा 3 और धारा 7 के उल्लंघन का भी आरोप था.
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