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Ambedkar Jayanti 2023: दलित समाज के लोगों ने बताया,उनका सबसे बड़ा दर्द क्या है?

Ambedkar Jayanti 2023: मौजूदा वक्त में दलितों के लिए किस तरह से प्रासंगिक हैं अंबेडकर?

मोहम्मद साकिब मज़ीद
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Ambedkar Jayanti 2023: दलित समाज के लोगों ने बताया,उनका सबसे बड़ा दर्द क्या है? </p></div>
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Ambedkar Jayanti 2023: दलित समाज के लोगों ने बताया,उनका सबसे बड़ा दर्द क्या है?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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भारत के संविधान निर्माता के रूप में पहचाने जाने वाले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर (BR Ambedkar) को याद करते हुए 14 अप्रैल को 'अंबेडकर जयंती' मनाई जाती है. वो एक न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे. डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था. बाबा साहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे.

अंबेडकर जयंती के मौके पर हम पहुंचे नोएडा स्थित अंबेडकर पार्क (Ambedkar Park Noida), जहां पर बाबा साहेब के मानने वालों का मजमा लगा हुआ था. हमने यहां पर आए हुए लोगों से बातें की कि बाब साहेब उनकी जिंदगी में किस तरह से अहमियत रखते हैं और उन्होंने जो सपने देखे थे क्या वो मौजूदा वक्त में जमीन पर नजर आ रहे हैं?

अंबेडकर पार्क आए हुए गौरव गौतम ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा कि 'दलित' शब्द से ही पता चलता है कि हमारे साथ गलत हो रहा है और हमारा अपमान किया जा रहा है.
कुछ दिन पहले भर्ती निकली थी, उनमें हमारे समाज के लोगों का कहीं नाम ही नहीं आया. कहा जाता है कि आरक्षण दिया जा रहा है, लेकिन कहां आरक्षण दिया जा रहा है? ओबीसी का पूरा आरक्षण खत्म कर दिया गया है.
गौरव गौतम, अंबेडकर पार्क आए हुए

उन्होंने आगे कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि अगर आप आरक्षण लागू ही करते हो तो पूरी तरह से लागू करो बदनामी नहीं करो. उन्होंने बीआर अंबेडकर के बारे में बात करते हुए कहा कि बाबा साहेब के बारे में बहुत सी गलत चीजें भी बताई जाती हैं.

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"अगर ऐसा हुआ तो फिर से बकरी चराना पड़ेगा"

बिहार के रहने वाले कमवध बौध ने कहा कि यहां रूल ऑफ लॉ हटा दिया गया है, कास्ट ऑफ लॉ चल रहा है. सरकार लोगों के द्वारा चुनी जाती है और लोगों के लिए होती है. इतिहास गवाह है कि जब-जब हमारे लोगों ने ही विश्वासघात किया है, तब-तब देश गुलाम हुआ है. छत्रपति शिवाजी और महाराणा प्रताप के साथ भी यही हुआ था.

सत्ता में जो लोग बैठे हुए हैं उनको इस देश की स्वतंत्रता बचाने के लिए पंथ को पीछे रखना पड़ेगा, विचार और राष्ट्र को आगे रखना पड़ेगा. अगर पंथ आगे बढ़ाते हैं और संस्कृति का ध्रुवीकरण होता है तो हम लोग ज्यादा दिन तक स्वतंत्र नहीं रहेंगे...फिर से भेंड़ बकरी चराना पड़ेगा.
कमवध बौध, अंबेडकर पार्क आए हुए बिहार के निवासी

उन्होंने आगे कहा कि इस वक्त इस देश में जितने लोग भी सत्ता पर बैठे हुए हैं, वो कहीं न कहीं संविधान के विरोध में काम कर रहे हैं और संविधान को खत्म करने पर लगे हुए हैं. ये लोग बाबा साहेब का विचार किताबों से जमीन तक नहीं आने दे रहे हैं.

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