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“गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले...
...चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले”
शहंशाह-ए-गजल मेहंदी हसन साहब जब इस गज़ल को गाते थे, तो यकीन मानिए फिजां में खुशबू बिखर जाती थी. उसी खुशबू के बेहद नजदीक ले जाती है ब्रिटिश सिंगर तान्या वेल्स की गायकी.
भारतीय शास्त्रीय संगीत में खासी दिलचस्पी रखने वाली तान्या वेल्स मूल रूप से ब्रिटिश हैं. 3 साल भारत में गुजार चुकी हैं. सिर्फ भारतीय संगीत और शायरी सीखने के लिए.
तान्या ने इस दौरान हिमालय में जाकर भी भारतीय संगीत की बारीकियां सीखीं. क्लासिकल संगीत सीखा. और सीखी ठुमरी, भजन और शायरी भी.
हाल में तान्या ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी कर सुर्खियां बटोरी हैं. इस वीडियो में तान्या फैज़ अहमद फैज़ की सदाबहार गजल ‘गुलों में रंग भरे’ को मेहदी हसन के संगीत के साथ गाते दिख रही हैं. इस वीडियो को अब तक सवा 7 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं. आप भी देखें.
इस गज़ल को बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर विशाल भारद्वाज ने अपनी फिल्म ‘हैदर’ में भी जगह दी थी. अरिजीत सिंह की आवाज में इस गज़ल को तैयार किया गया था.
ज्यादातर गज़लों की तरह ‘गुलों में रंग भरे ’ भी अपने आशिक़ को वापस आने की गुजारिश पर आधारित है. सुनिए इस गजल को खुद गजल सम्राट मेहदी हसन की आवाज में.
तान्या के अनुसार, उन्होंने मेहदी हसन को सुन-सनकर उर्दू सीखी. वो उन्हें ही अपना प्रेरणास्रोत भी मानती हैं.
भारतीय सांस्कृतिक संगीत पर अपनी रुचि के बारे में पूछे जाने पर वेल्स ने कहा:
वेल्स के फेसबुक पेज को देखने से गजलों में उनकी रुचि का अंदाजा लगता है. तान्या ने हाल ही में ‘मन कुंतो मौला ’ भी गाया, जो कि सूफी शायर आमिर खुसरो ने अली इब्ने अबी तालिब की शान में लिखा था. इसे नुसरत फतेह अली खान ने आवाज दी थी.
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