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आज पेश होगा 2018-2019 का आम बजट, क्या हैं लोगों की उम्मीदें

देखिए- बजट में क्या-क्या हो सकता है

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बजट पेश करने की पूर्व संध्या पर बजट टीम के साथ वित्त मंत्री अरूण जेटली
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बजट पेश करने की पूर्व संध्या पर बजट टीम के साथ वित्त मंत्री अरूण जेटली
(फोटोः @FinanceMinistry)

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वित्त मंत्री अरूण जेटली आज गुरुवार को संसद में 2018-19 का आम बजट पेश करेंगे. यह मोदी सरकार का पांचवां और संभवत: सबसे कठिन बजट होगा. इस बजट में जेटली को राजकोषीय लक्ष्यों को साधने के साथ कृषि क्षेत्र के संकट, रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि को गति देने की चुनौतियों का हल ढूंढना होगा.

यह बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है जबकि आने वाले महीनों में आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें से तीन प्रमुख राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं. अगले साल आम चुनाव भी होने हैं.

बजट में आ सकती हैं नई ग्रामीण योजनाएं

मोदी सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी बजट में नई ग्रामीण योजनाओं का भी ऐलान कर सकती है. वहीं मनरेगा, ग्रामीण आवास, सिंचाई परियोजनाओं और फसल बीमा जैसे मौजूदा कार्यक्रमों के लिए आवंटन में बढ़ोतरी भी देखने को मिल सकती है.

गुजरात में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में देखने को मिला कि बीजेपी का ग्रामीण वोट बैंक छिटक रहा है, जिसे ध्यान में रखते हुए जेटली अपने बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कुछ प्रोत्साहन भी ला सकते हैं.

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छोटे कारोबारियों को मिल सकती है रियायत

कारोबारियों को बीजेपी के प्रमुख समर्थक के तौर पर देखा जाता है. गुजरात चुनाव के अलावा यूपी निकाय चुनाव के शहरी क्षेत्र में बीजेपी को ज्यादा समर्थन हासिल हुआ. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार लघु उद्योगों के लिए भी रियायतें दे सकती हैं.

वित्त मंत्री जेटली माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन से इस वर्ग को हुई दिक्कतों को दूर करने के लिए कुछ कदमों की घोषणा कर सकते हैं. इसके साथ ही आयकर छूट सीमा बढ़ाकर आम आदमी को कुछ राहत देने का प्रयास भी बजट में किया जा सकता है.

राजमार्ग जैसी ढांचागत परियोजनाओं के साथ-साथ रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए भी इस बजट में ज्यादा आवंटन किया जा सकता है.
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घाटे को कम करने की चुनौती

इसके साथ ही जेटली के सामने बजट घाटे को कम करने की राह पर बने रहने की कठिन चुनौती भी है. अगर भारत इस डगर से चूकता है तो वैश्विक निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों की निगाह में भारत की साख जोखिम में आ सकती है. जेटली ने राजकोषीय घाटे को मौजूदा वित्त वर्ष में घटाकर जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा था. आगामी वित्त वर्ष 2018-19 में इसे घटाकर तीन प्रतिशत किया जाना है.

हालांकि इस बजट को लेकर बड़ी अपेक्षाएं नहीं पालने की नसीहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही दे चुके हैं जबकि उन्होंने संकेत दिया था कि बजट में लोकलुभावन कदमों पर जोर नहीं होगा और कि यह एक भ्रम है कि आम आदमी छूट चाहता है.

नई कंपनियों को बजट से बड़ी उम्मीद

जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद यह पहला आम बजट होगा, जिस पर विश्लेषकों की इसलिए भी निगाह है क्योंकि वे देखना चाहते हैं कि जेटली वृद्धि को बल देने के लिए क्या क्या उपाय करेंगे. ऐसी चर्चा है कि शेयरों में निवेश से होने वाले पूंजीगत लाभ पर कर छूट समाप्त हो सकती है.

यह भी देखना होगा कि क्या जेटली कॉर्पोरेट टैक्स में कमी लाने के अपने वादे को पूरा करते हैं या नहीं. जानकारों का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहनों की घोषणा हो सकती है तो एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप यानी नयी कंपनियों के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं.

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