advertisement
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को मोदी सरकार 2.0 का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी. बतौर वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण का ये दूसरा बजट है. कारोबारी, कंज्यूमर, युवा, निवेशक हर कोई बजट से उम्मीद लगाए हैं कि वित्त मंत्री उनके सेक्टर के लिए क्या खास ऐलान करेंगी. वहीं, नजरें इस बात पर भी रहेंगी कि निर्मला सीतारमण अपने दूसरे बजट के कागजात ब्रीफकेस में लेकर आएंगी, या पिछली बार की तरह उनके हाथ में लाल बही-खाता नजर आएगा.
भारत में आज भी कई जगह पारंपरिक रूप से बही-खाते का इस्तेमाल होता है. बजट के लिए बही-खाते के इस्तेमाल पर निर्मला सीतारमण ने एक बार कहा था कि मोदी सरकार 'सूटकेस लेकर चलने वाली सरकार' नहीं है. जुलाई 2019 में नागरथर इंटरनेशनल बिजनेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, '2019 बजट के लिए, मैंने सूटकेस का इस्तेमाल नहीं किया. हम सूटकेस लेकर चलने वाली सरकार नहीं हैं.'
हम आम बोल-चाल में जिस बजट का इस्तेमाल करते हैं, वो फ्रेंच शब्द Bougette से आया है, जिसका मतलब होता है लेदर का ब्रीफकेस. साल 1733 में ब्रिटिश वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल चमड़े के थैले में देश की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा पेश करने आए थे. बाद में ये लेखा बजट बन गया. आज के समय में दुनियाभर के सैकड़ों देशों में आर्थिक लेखा-जोखा पेश करने के तरीकों को बजट ही कहा जाता है.
बजट में इस्तेमाल होनेवाले बैग के लाल के पीछे भी रोचक कहानी है. 1860 में ब्रिटेन के चांसलर ग्लैडस्टोन ने लकड़ी के बक्से पर लाल रंग का चमड़ा मढ़वा दिया. इस बक्से पर उन्होंने महारानी विक्टोरिया का मोनोग्राम भी लगवा दिया. बाद के दिनों में इस बैग में कई तरह के बदलाव आते गए. वित्त मंत्रियों ने अपने हिसाब से इसमें कई बदलाव किए लेकिन लाल रंग सभी का पसंदीदा रंग बना रहा. बाद में इस लाल रंग को ही बजट के बैग के लिए फिक्स कर दिया गया.
1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद देश के पहले वित्त मंत्री आरके षणमुखम शेट्टी बने. उन्होंने 26 नवंबर 1947 को आजाद भारत का पहला बजट पेश किया. आपको जानकर हैरानी होगी कि उन दिनों पूरे देश का बजट महज 197 करोड़ रुपये का था.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)