Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बुलंदशहर में महिला को पंचायत ने लगवाए कोड़े, भीड़ तमाशबीन बनी रही

बुलंदशहर में महिला को पंचायत ने लगवाए कोड़े, भीड़ तमाशबीन बनी रही

मर्द, बूढ़े, बच्चे सभी घेरा बनाकर मानो मुआयना कर रहे हों. सबके सब जिंदा खड़े हैं... बेजुबान, बेजमीर और बुजदिल

स्मृति चंदेल
भारत
Published:
बदचलन होने के शक पर पति ने पंचायत से गुहार लगाई, जिस पर औरत को सरेआम पीटने का हुक्म सुना दिया गया.
i
बदचलन होने के शक पर पति ने पंचायत से गुहार लगाई, जिस पर औरत को सरेआम पीटने का हुक्म सुना दिया गया.
(फोटो: क्‍विंट हिंदी )

advertisement

पेड़ से बंधी हुई एक लाचार औरत... उस पर बेतहाशा बेल्ट मारता उसका पति अपनी ताकत और मर्द होने की नुमाइश कर रहा है .मजमा लगा है... मर्द, बूढ़े, बच्चे सभी हैं, इस मंजर का घेरा बनाकर मानो मुआयना कर रहे हों. सबके सब जिंदा खड़े हैं... बेजुबान... बेजमीर और बुजदिल.

बदचलन होने के शक पर पति ने पंचायत से गुहार लगाई, जिस पर औरत को सरेआम पीटने का हुक्म सुना दिया गया. वह पिटती रही, चीखती रही. उसकी कराह ने हमारे 21वीं सदी के भारत को हकीकत के गिरेबान में झांकने के लिए मजबूर कर दिया.

वायरल वीडियो का स्‍क्रीनशॉट 
कहते हैं, देश में कानून का राज है. संविधान है ,राइट टू लिबर्टी एंड फ्रीडम जैसे मौलिक अधिकार हैं, पर बुलंदशहर जैसे वाकये थ्योरी और प्रैक्टिकल के बीच का फर्क पानी की तरह साफ कर देते हैं.

कुछ रीत जगत की ऐसी है, हर एक सुबह की शाम हुई, तू कौन है तेरा नाम है क्या, सीता भी यहां बदनाम हुई... किसी फिल्म के लिए लिखा गया यह गीत औरत होने की मुफलिसी साफगोई से बयान करता है.

सीता को मां मानने वाले तो बहुत लोग हैं, लेकिन उसके साथ हुए अन्याय पर आईना देखने की ताकत समाज में न कभी थी ना आज भी है... हाल ही में बुलंदशहर में एक पंचायत के तुगलकी फरमान का कारनामा तमाशबीन ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया.

हमने तरक्की के कितने ही मील के पत्थर पार कर लिए हों, पर अभी भी रहन-सहन कबीलाई है. खासतौर पर महिला पर ताकत दिखाने के नाम पर सारी व्यवस्था एक हो जाती है.

तमाम अभियान के बावजूद हकीकत यही है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं. क्या वीमेन एंपावरमेंट जैसे भारी-भरकम शब्द अपने अर्थ को बुलंदशहर जैसे धरातल तक पहुंचा पाए हैं?

ग्रंथों में नारी को गुरुतर मानते हुए यहां घोषित किया गया है:

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता

मतलब ग्रंथों में महिला की पूजा की बात और हकीकत में हजारों की भीड़ उसे तमाशबीन बनकर पिटते हुए देखती है. भाई वाह कमाल हैं नियम और कायदे!

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बस करो यार..बर्दाश्त की हद होती है. औरतों की दहलीज लांघने भर से घर उजड़ जाता है, तो उसके उखड़ जाने पर दुनिया को तबाह होने में भी वक्त नहीं लगेगा. सीखो और सिखाओ कि औरत भी इंसान है, उसके भी सपने हैं, अरमान हैं. उसकी भी काबिलियत है और उसे भी बराबर के साथ जीने का हक है.

वो आपकी शानो-शौकत का सामान नहीं है. ऑनर किलिंग, घरेलू हिंसा, बलात्कार, ईव टीजिंग... मर्द इसे अपना अधिकार समझना बंद करें.

दिक्कत यही है कि बार-बार याद दिलाया जा रहा है कि वक्त बदल रहा है, महिलाएं अपने हक के लिए खड़ी हो रही हैं, लेकिन तभी इस तरह के बर्बर और घिनौने मामले सामने आ जाते हैं. और तब एम्पावरमेंट की सारी बातें ढकोसला लगने लगती हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT