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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
नागरिकता कानून के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन गुस्से की सबसे ज्यादा आग उत्तर प्रदेश में भड़की. लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, अलीगढ़, मुज्जफरनगर, मेरठ, बिजनौर, संभल, फिरोजाबाद, कानपुर, रामपुर जैसे तमाम शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनाकरियों पर जमकर पुलिस की लाठियां भी चलीं और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भी खबरें आईं.
19 दिसंबर को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान आया कि हिंसा में शामिल हर एक शख्स से बदला लिया जाएगा.
‘बदला लिया जाएगा’- ये शब्द देश के सबसे बड़े सूबे के सीएम के मुख से निकला है. जो किसी मारक हथियार से कम नहीं लगता. बदला वाले इस बयान पर सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का कहना है,
खैर, सीएम के ‘बदला’ लेने वाले बयान के बाद मानो पुलिस को सब कुछ करने की छूट मिल गयी है. नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों पर यूपी पुलिस की कार्रवाई के ताजा आंकड़े तो यही गवाही दे रहे हैं. ये आंकड़े देखिए
अगर आप सोशल मीडिया यानी फेसबुक ट्विटर यूट्यब वगैरह का इस्तेमाल करते हैं तो जरा सावधान हो जाइए क्योंकि सोशल मीडिया एकाउंट्स पर भी यूपी पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया है. सोशल मीडिया के करीब 19 हजार से ज्यादा अकाउंट ब्लॉक किए गए हैं जिसमें 9 हजार से ज्यादा ट्विटर, करीब 10 हजार फेसबुक और 181 यूट्यूब प्रोफाइल्स हैं. 124 लोगों की गिरफ्तार भी हुई है. इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने प्रदर्शन के दौरान सोशल मीडिया पर हिंसक पोस्ट कीं. जिन सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक किया गया है उनमें ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब यूजर्स शामिल हैं.
साथ ही हिंसा में हुई सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए कुछ लोगों के घर पर बकायदा वसूली का नोटिस भी भेजा जा रहा है.
कुछ सवाल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के भी हैं. अब बात मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की, जो आरोप लगा रहे हैं कि नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को कुचलने के लिए यूपी पुलिस लोगों को झूठे मामलों में फंसा रही है. मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने एएमयू छात्रों पर ‘‘पुलिस की कार्रवाई’’ का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि पूरे राज्य ने ‘‘अपने नागरिकों के एक हिस्से के खिलाफ खुला युद्ध छेड़ रखा है.’’ ‘स्वराज इंडिया’ के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में आंतक का राज चल रहा है.’’
और एक बात यहां साफ-साफ कह देनी चाहिए कि हिंसा किसी भी लिहाज से सही नहीं है, फिर चाहे वो प्रदर्शनकारियों की तरफ से हो या पुलिस की तरफ से. प्रदर्शनों के बीच हिंसा को उकसावा देने वाले और हिंसा में शामिल होने वाले लोग खुद ही प्रदर्शन की धार कमजोर कर देते हैं.
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