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'न पासपोर्ट, न वीजा': CAA के तहत किसे और कैसे मिलेगी भारत की नागरिकता?

CAA: नए कानून के तहत भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत प्रत्येक व्यक्ति को एक डिजिटल प्रमाणपत्र दिया जाएगा.

क्विंट हिंदी
भारत
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'न पासपोर्ट, न वीजा': CAA के तहत किसे और कैसे मिलेगी भारत की नागरिकता?

(फोटो: अरूप मिश्रा/ क्विंट हिंदी)

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केंद्र सरकार ने सोमवार (11 मार्च) को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 यानी CAA लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी. CAA लागू होने के बाद अब लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि ये कानून क्या है? इसमें किसे नागरिकता मिलने का सवाल है? और नागरिकता हासिल करने के लिए क्या करना होगा? आइये आपको इसका जवाब सरल शब्दों में समझाते हैं.

CAA कानून क्या है?

  • सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के भारत में प्रवेश करने वाले समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई) के सदस्यों को नागरिकता देने का अधिकार देता है.

  • कानून के मुताबिक, भारत में प्रवेश करने वाले इन समुदायों के सदस्यों को इन देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. इसमें कहा गया है कि इन समुदायों का कोई भी सदस्य जो 31 दिसंबर 2014 से पहले तीन देशों से कानूनी या अवैध रूप से भारत में प्रवेश करता है, वह भारतीय नागरिकता के लिए पात्र होगा.

  • कानून ने देशीयकरण द्वारा नागरिकता की अवधि को भी 11 वर्ष से घटाकर पांच वर्ष कर दिया है.

किसे मिलेगी नागरिकता?

  • पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई अब इन देशों का वैध पासपोर्ट या भारत से वैध वीजा प्रस्तुत किए बिना भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं.

  • सीएए लागू होने से अब तीनों देश के हजारों गैर-मुस्लिम प्रवासियों को लाभ मिलेंगे. अब तक, ये प्रवासी या तो अवैध रूप से या लंबी अवधि के वीजा पर भारत में रह रहे थे और लंबे समय से भारतीय नागरिकता चाह रहे हैं.

कैसे मिलेगी नागरिकता?

  • नए नियमों के अनुसार, पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान के पासपोर्ट और भारत द्वारा जारी आवासीय परमिट की आवश्यकता की केंद्रीयता को लगभग खत्म कर दिया है.

  • इसके बजाय, जन्म या शैक्षणिक संस्थान प्रमाण पत्र; "किसी भी प्रकार का पहचान दस्तावेज"; "कोई लाइसेंस या प्रमाणपत्र"; इन देशों द्वारा जारी "भूमि या किरायेदारी रिकॉर्ड", या "कोई अन्य दस्तावेज", जो साबित करता है कि आवेदक उनका नागरिक था, नागरिकता के प्रमाण के रूप में पर्याप्त होगा.

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  • कोई भी दस्तावेज जो बताए कि "आवेदक के माता-पिता या दादा-दादी या परदादा में से कोई भी तीन देशों में से किसी एक का नागरिक है या रहा है" भी स्वीकार्य है. महत्वपूर्ण बात यह है कि ये दस्तावेज अपनी वैधता अवधि के बाद भी मान्य होंगे.

  • आवेदक को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं की जानकारी के लिए किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी, उसका भाषा बोलने में सक्षम होना ही पर्याप्त होगा.

  • वैध वीजा, FRRO द्वारा जारी आवासीय परमिट, भारत में जनगणना गणनाकर्ताओं द्वारा जारी पर्ची, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, राशन कार्ड, सरकार या अदालत द्वारा जारी कोई भी पत्र, भारतीय जन्म प्रमाण पत्र, भूमि या किरायेदारी रिकॉर्ड, पंजीकृत किराया समझौता , पैन कार्ड जारी करने का दस्तावेज, केंद्र, राज्य, पीएसयू या बैंक द्वारा जारी दस्तावेज, किसी ग्रामीण या शहरी निकाय के निर्वाचित सदस्य या उसके अधिकारी या राजस्व अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र; पोस्ट ऑफिस अकाउंट; बीमा पॉलिसी; उपयोगिता बिल; न्यायालय या न्यायाधिकरण रिकॉर्ड; ईपीएफ दस्तावेज, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र; शैक्षणिक प्रमाणपत्र; नगर पालिका व्यापार लाइसेंस और विवाह प्रमाणपत्र शामिल है.

  • इससे पहले, कुछ अन्य दस्तावेजों के साथ वीजा जरूरी था.

कहां करना होगा आवेदन?

  • अब आवेदक को जिलाधिकारी के पास आवेदन नहीं करना होगा बल्कि प्रक्रिया ऑनलाइन होगी.

  • केंद्र सरकार द्वारा एक अधिकार प्राप्त समिति और एक जिला स्तरीय समिति का गठन होगा, जिसके पास आवेदन की जांच करने और भारतीय नागरिकता देने या अस्वीकार करने का अधिकार होगा.

  • नियम के अनुसार, ''अधिकार समिति आवेदक की उपयुक्तता सुनिश्चित करने के लिए ऐसी जांच कर सकती है, जिसमें सुरक्षा एजेंसी से रिपोर्ट प्राप्त करना भी शामिल है.''

  • नए कानून के तहत भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत प्रत्येक व्यक्ति को एक डिजिटल प्रमाणपत्र दिया जाएगा, जो अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष द्वारा डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित या हस्ताक्षरित होगा.

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