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डावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की बैठक में जाने के पहले सरकार ने कई बड़े आर्थिक फैसलों को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी डावोस की सालाना बैठक में हिस्सा लेने जा रहे हैं.
सबसे बड़ा फैसला एयर इंडिया को लेकर हुआ है. इस बेचने के रास्ते की बड़ी अड़चन सरकार ने दूर कर दी है. कर्ज में डूबी सरकार एयरलाइंस में अब 49 परसेंट तक सीधे विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी गई है.
कैबिनेट ने इस बात की मंजूरी दे दी है कि एयर इंडिया में 49 परसेंट हिस्सेदारी कोई विदेशी एयरलाइंस खरीद सकती है. हालांकि सरकार ने साफ कर दिया है कि बड़ी हिस्सेदारी भारतीय नागरिकों के पास ही रहेगी इसलिए मुख्य कंट्रोल भी उन्हीं का होगा.
एयर इंडिया पर मार्च 2017 तक 48,877 करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसमें करीब 17,360 करोड़ रुपए विमान खरीदने के लिए लोन है और बाकी 31,517 करोड़ रुपए वर्किंग कैपिटल लोन है यानी ऑपरेशन में होने वाला खर्च.
हालांकि ऑपरेटिंग मुनाफे के लिहाज से एयर इंडिया के लिए 2017-18 काफी बेहतर रहा है. अनुमान है कि इस वित्तीय साल में 531 करोड़ रुपए का ऑपरेटिंग फायदा होगा जो पिछले साल 215 करोड़ रुपए ही था.
इसके अलावा सिंगल ब्रांड रिटेल और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 100 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी दी गई है. इन सेक्टर्स में विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजूरी की जरूरत नहीं होगा.
जानकारों का कहना है कि इन फैसलों से निवेश बढ़ने का अनुमान है. इसके अलावा इज ऑफ डुइंग बिजनेस के रैंकिंग में भी सुधार होगा. इसके अलावा डावोस की बैठक के लिहाज से भी ग्लोबल इन्वेस्टरों के बीच इसका पॉजिटिव असर होगा
प्रधानमंत्री मोदी समेत 6 केंद्रीय मंत्री और दो मुख्यमंत्री भी इसमें शिकरत कर रहे हैं. 20 सालों में पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री डावोस जा रहा है.
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