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केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एसेशिंयल कमोडिटी एक्ट 1955’ में बदलाव को मंजूरी दी है. सरकार अब अनाज, दाल, तेल बीजों, प्याज, आलू जैसे कई सारे कृषि उत्पादों को विनियमित करने जा रही है. इस फैसले के बाद अब किसानों को छूट होगी कि वो खुद इन उत्पादों की प्रोसेसिंग, खरीद बिक्री, रिटेलिंग और एक्सपोर्ट का काम कर सकेंगे.
मीडिया को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ‘कैबिनेट ने ‘द फार्मिंग प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी है. इससे कृषि उत्पादों का बैरियर फ्री ट्रे़ड हो सकेगा. इसके बाद किसान अपनी उपज अपने जिले या इलाके की एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) मंडियों में बेचने के बंधन से मुक्त हो जाएंगे.’
इसका मतलब है किसान अब किसी भी राज्य या देश में जाकर किसी को भी अपनी उपज बेच पाएंगे.
इसके अलावा Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Ordinance, 2020 को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इसके बाद से किसान खुद कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग, खरीद बिक्री, रिटेलिंग और एक्सपोर्ट का काम बिना किसी शोषण दूसरे व्यापारियों की बराबरी से कर सकेंगे.
1 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) की रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी का ऐलान कर दिया था. केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गेहूं, चना, सरसों, जौ और मसूर की एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई. गेहूं के एमएसपी में 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर इसे 1,840 रुपये प्रति क्विंटल करने को मंजूरी दी गई है. इसी तरह चने की एमएसपी 220 रुपए प्रति क्विंटल, मसूर की 225 रुपए प्रति क्विंटल और सरसों की 200 रुपए प्रति क्विंटल प्रति क्विंटल बढ़ी है.
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