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OTT प्लेटफॉर्म अमेजॉन प्राइम पर हाल में ही एक वेबसीरीज आई, जिसका नाम था 'तांडव'. सीरीज ने अपने नाम के मुताबिक ही खूब नाम किया. आरोप लगे कि इस सीरीज के कुछ सीन्स की वजह से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. इसी के बाद बोलने-दिखाने की आजादी की बहस चल निकली. हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमेजॉन प्राइम की अधिकारी अपर्णा पुरोहित की एंटीसिपेटरी बेल की अर्जी खारिज कर दी. अपर्णा के खिलाफ तांडव मामले में ही यूपी पुलिस ने FIR दर्ज की गई थी.
भारत में पिछले कुछ वक्त से ओटीटी प्लेटफॉर्म की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ी है. इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि यहां पर कंटेट रेगुलेशन नहीं होता, जिस तरह से सरकार का टीवी, रेडियो प्लेटफॉर्म पर रेग्युलेशन होता था. लेकिन अब सरकार ने इसे रेगुलेट करने के लिए आईटी कानूनों में बदलाव किए हैं.
हाल में कुछ वेब सीरीज को लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीति में भयानक विरोध झेलना पड़ा है और ज्यादातर विरोध हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ से देखने को मिले हैं. ए सूटेबल बॉय, मिर्जापुर, सेक्रेड गेम्स, आश्रम, पाताललोक वेब सीरीज को लेकर पहले ही विवाद हो चुका है और अब तांडव को लेकर विवाद गर्मा रहा है.
भावनाएं आहत होने की न तो ये पहली घटना है और न ही आखिरी. भारत में कई सारी फिल्मों को लेकर भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिलते रहे हैं. पद्मावत, जोधाअकबर, ओ माय गॉड, बाजीराव मस्तानी.. बहुत लंबी लिस्ट है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि सरकार रेगुलेशन के नाम पर अपने राजनीतिक नफे नकुसान के मद्देनजर सेंसरशिप करती हैं.
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