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सीबीआई का काम है अपराध और इसके पीछे की साजिशों को बेनकाब करना, लेकिन जब खुद सीबीआई ही इसका शिकार हो जाए तो फिर कौन बचाए.
शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि देश की सबसे बड़ी एजेंसी के मुखिया और दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना ने एक दूसरे को भ्रष्ट ठहराने में पूरा जोर लगा दिया है. सीबीआई में नंबर 2 की हैसियत वाले अस्थाना ने पहले अपने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा पर दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगाया. फिर सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना पर तीन करोड़ रुपये की घूस लेने का केस दर्ज कर लिया.
लेकिन ये जानना सबसे जरूरी है कि दोनों के बीच जंग कब और क्यों शुरू हुई?
1. 30 नवंबर 2016: सीबीआई चीफ अनिल सिन्हा के रिटायरमेंट से दो दिन पहले सीबीआई में दूसरे नंबर के सीनियर अफसर, स्पेशल डायरेक्टर आर के दत्ता का गृह मंत्रालय में तबदला कर दिया गया.
2. दो दिसंबर 2016: सिन्हा के रिटायर होने के बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर बनाया गया.
3. पांच दिसंबर 2016: सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती दी. प्रशांत भूषण की दलील थी कि राकेश अस्थाना का नाम स्टर्लिंग बायोटेक की डायरी में दर्ज है. इस मामले की सीबीआई ने खुद एफआईआर दर्ज की है. ऐसे में राकेश अस्थाना की नियुक्ति कैसे हो सकती है?
4. एक फरवरी 2017: आलोक वर्मा सीबीआई डायरेक्टर बने
5. 21 अक्टूबर 2017: आलोक वर्मा ने सीवीसी से अस्थाना पर स्टर्लिंग बायोटेक से 3.88 करोड़ घूस लेने की शिकायत की
6. 22 अक्टूबर 2017: सीवीसी ने अस्थाना के प्रमोशन को मंजूरी दी
7. 24 अगस्त 2018: राकेश अस्थाना ने कैबिनेट सेक्रेटरी को आलोक वर्मा के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा भेजा
सीबीआई के भीतर वर्चस्व की जंग आलोक वर्मा के डायरेक्टर बनते ही शुरू हो गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आलोक वर्मा ने सीबीआई डायरेक्टर बनते ही अपने कुछ करीबी अफसरों को सीबीआई में लाने की कोशिश की थी.
वर्मा के डायरेक्टर बनने से पहले गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना बतौर अंतरिम डायरेक्टर सीबीआई की कमान संभाल रहे थे. ऐसे में अस्थाना ने नये अधिकारियों को सीबीआई में रखे जाने का विरोध किया. अस्थाना का तर्क था कि आलोक वर्मा जिन अफसरों की सिफारिश कर रहे हैं, उनका पिछला रिकॉर्ड शक के घेरे में है.
स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने सीबीआई डायेरक्टर आलोक वर्मा पर अपने दायित्वों का निर्वहन सही तरीके से नहीं करने का आरोप लगाया था. इसके अलावा अस्थाना ने वर्मा पर बिना सबूत के उनके द्वारा जांच किए जाने वाले कुछ मामलों में दखल का आरोप लगाते हुए कहा था कि वर्मा उनकी छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक IRCTC केस में लालू प्रसाद यादव से जुड़े मामले में भी राकेश अस्थाना को आलोक वर्मा का दखल मंजूर नहीं था. उन्हें यह भी मंजूर नहीं था कि उनकी टीम के किसी भी सदस्य को आलोक वर्मा निर्देश दें.
आलोक वर्मा सीबीआई डायरेक्टर की हैसियत से सभी मामलों में अपना दखल रखना चाहते थे,
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