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सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन (सीबीआई) ने गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में हुई 7 साल के प्रद्युम्न ठाकुर की मर्डर मिस्ट्री सुलझाने का दावा किया है. इस केस में सीबीआई ने इसी स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ने वाले नाबालिग छात्र को मंगलवार की रात करीब 11:30 बजे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत हिरासत में लिया. अब सवाल ये है कि क्या प्रद्युम्न के आरोपी पर वयस्क वाला कानून लागू होगा?
नए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 के मुताबिक, अगर 16 से 18 साल का जुवेनाइल गंभीर अपराध करता है तो कोर्ट में उसे एक वयस्क अपराधी की तरह ही पेश किया जाएगा. नए जुवेनाइल कानून के मुताबिक, इसका फैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के हाथ में है. जांच रिपोर्ट के आधार पर वही तय करेगा कि आरोपी को वयस्क कोर्ट में पेश किया जाए या नहीं.
अगर इस केस में जुवेनाइल एक्ट के तहत सुनवाई होगी, तो आरोपी को ज्यादा से ज्यादा तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा जाएगा. अगर वयस्क कानून के तहत सुनवाई होती है, तो उसे 14 साल की कैद से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है.
बुधवार को सीबीआई ने नाबालिग आरोपी को गुरुग्राम में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया और तीन दिन की रिमांड मांगी. जांच में हुए नए खुलासे ने इस मामले को नया मोड़ दे दिया है, जिसके चलते गुरुग्राम पुलिस की शुरुआती जांच पर सवाल खड़े हो गए हैं.
द क्विंट के सवालों का जवाब देते हुए गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर संदीप खिरवार ने कहा:
गुरुग्राम पुलिस ने रेयान स्कूल में प्रद्युम्न की हत्या के आरोप में स्कूल बस के कंडक्टर अशोक कुमार को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने दावा किया था कि अशोक कुमार सात साल के प्रद्युम्न के साथ यौन शोषण करना चाहता था.
वहीं, सीबीआई का कहना है कि उसे अपनी जांच में ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला है, जिससे कंडक्टर के घटना में शामिल होने का संकेत मिलता हो.
सीबीआई के मुताबिक, उनके पास मुख्य नाबालिग आरोपी के खिलाफ पर्याप्त और मजबूत सबूत हैं.
जांच में सीसीटीवी फुटेज मुख्य सबूत के तौर पर सामने आया है, जिसके आधार पर सीबीआई का शक 16 साल के नाबालिग छात्र पर गया. फुटेज के अलावा, सीबीआई ने स्कूल के कई छात्रों से पूछताछ की, जिससे सीबीआई का शक और भी मजबूत हुआ. सीबीआई ने दावा किया है कि उसके पास फॉरेंसिक एनालिसिस और मोबाइल फोन रिकॉर्ड जैसे सबूत भी हैं.
लेकिन सवाल अब भी वही है. अगर सीसीटीवी फुटेज सबूत का महत्वपूर्ण हिस्सा था और अगर यह गुरुग्राम पुलिस के पास जांच के पहले दिन से मौजूद था, तो गुरुग्राम पुलिस इस केस को क्यों नहीं सुलझा पाई? अगर फुटेज में नाबालिग छात्र दिख रहा था, तो गुरुग्राम पुलिस ने उससे पूछताछ क्यों नहीं की? और बस कंडक्टर पर केस क्यों थोपा गया?
हालांकि सीबीआई ने कहा है कि इस केस में सबसे पहले संदिग्ध के तौर पर सामने आया कंडक्टर को अभी तक क्लीनचिट नहीं मिली है, और केस में उसकी भूमिका का पता लगाया जाना अभी बाकी है.
सीबीआई ने अपनी जांच में कहा है कि आरोपी छात्र पढ़ाई में कमजोर था. वह एग्जाम और पैरेंट-टीचर मीटिंग को टालना चाहता था, जो कि प्रद्युम्न के मर्डन के दिन ही होनी थी.
सीबीआई ने अब तक इस केस में और संदिग्धों के शामिल होने की बात नहीं कही है. जबकि, सीसीटीवी फुटेज में टॉयलेट से एक से ज्यादा सीनियर स्टूडेंट बाहर आते दिख रहे हैं. केस में और संदिग्धों के शामिल होने पर सीबीआई ने चुप्पी साध रखी है.
हत्या में इस्तेमाल किए गए आठ इंच के चाकू, जोकि घटना के बाद टॉयलेट से ही बरामद किया गया था. हत्या में इस्तेमाल किया गया यह चाकू फिलहाल सीबीआई के पास है. क्या हत्या पहले से प्रायोजित थी?
द क्विंट ने पहले ही बताया था कि जिस डॉक्टर ने प्रद्युम्न के शव का परीक्षण किया था, उसने बताया था कि प्रद्युम्न की गर्दन को चाकू से दो बार रेता गया था.
हालांकि, सीबीआई ने अब तक यह साफ नहीं किया है कि संदिग्ध छात्र के फिंगर प्रिंट मर्डर वैपन पर पाए गए फिंगर प्रिंट से मैच हुए या नहीं.
संदिग्ध छात्र की गिरफ्तारी के बाद उसके पिता ने सीबीआई के दावों को खारिज किया है. उन्होंने कहा, 'मेरा बेटा दोषी नहीं है. उसने तो सिर्फ माली और टीचर्स को घटना की जानकारी दी थी.
प्रद्युम्न के पिता को बुधवार सुबह सीबीआई हेडक्वार्टर बुलाया गया था, जहां उन्हें इस केस में सामने आए तथ्यों की जानकारी दी गई.
इस मामले में प्रद्युम्न के पिता के वकील सुशील ठेकरीवाल ने कहा है कि सीबीआई की ओर से दिया गया कारण हत्या का मोटिव हो सकता है. क्योंकि छात्र काफी वक्त से इस स्कूल में पढ़ रहा था और वह वहां के बारे में अच्छी तरह से जानता था. हम चाहते हैं कि सीबीआई इस मामले में स्कूल मैनेजमेंट की भूमिका को लेकर भी जांच करे.
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