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सीबीआई ने बोफोर्स तोप सौदे में कथित रिश्वतखोरी की जांच के लिए निचली अदालत में अर्जी दाखिल की है. कोर्ट ने कहा इसके लिए अर्जी की जरूरत नहीं थी. सिर्फ कोर्ट को बताना काफी था. सीबीआई का कहना था कि उसे इस मामले में आगे जांच करनी है क्योंकि मामले के कई पहलू अभी अनसुलझे हैं.
सीबीआई की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राउज एवेन्यू की चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 8 मई को कहा था कि जब एजेंसी के पास जांच का स्वतंत्र अधिकार है और उसका विवेक कहता है कि यह होनी चाहिए तो कोर्ट में इजाजत के लिए बार-बार अर्जी क्यों दी जा रही है. इसके बाद सीबीआई ने इस मामले में आगे की जांच के लिए अर्जी दाखिल की.
सीबीआई ने मामले में आगे की जांच की इजाजत के लिए निचली अदालत में अर्जी दायर की थी. सीबीआई ने कहा था कि मामले में उसे नई चीजें और सबूत मिले हैं.जांच एजेंसी ने माइकल हर्शमैन नाम के शख्स के दिए गए बयान के आधार पर आगे की जांच के लिए इजाजत मांगी है.
अदालत ने चार दिसंबर 2018 को पूछा था कि आखिर सीबीआई को मामले में आगे की जांच के लिए उसकी अनुमति की जरूरत क्यों है. सीबीआई ने मामले में सभी आरोपियों को आरोपमुक्त करने के 31 मई 2005 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दो फरवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने दो नवंबर 2018 को मामले में सीबीआई की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में 13 साल की देरी पर माफी मांगी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने दो नवंबर 2018 को मामले में सीबीआई की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में 13 साल की देरी पर माफी मांगी थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि अपील दायर करने में 4,500 दिनों की देरी को लेकर माफी के संबंध में सीबीआई के जवाब से वह संतुष्ट नहीं है.
हालांकि शीर्ष अदालत में अब भी एक अपील पर सुनवाई चल रही है, जिसमें जांच एजेंसी एक रेस्पॉन्डेंट है. शीर्ष अदालत ने दो नवंबर, 2018 को कहा था कि मामले में जांच एजेंसी प्रतिवादी के तौर पर सहायता कर सकती है. शीर्ष अदालत ने कहा था कि सीबीआई मामले में वकील अजय अग्रवाल की ओर से दायर याचिका पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी बुनियादी बातों को उठा सकती है. अग्रवाल ने इस फैसले को चुनौती भी दी थी.
उत्तर प्रदेश के रायबरेली से लोकसभा का टिकट नहीं दिए जाने के कारण अग्रवाल इस समय बीजेपी के बागी नेता बने हुए हैं. सीबीआई की ओर से 90 दिन की अनिवार्य अवधि में अपील दायर नहीं करने पर उन्होंने 2005 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
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