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भारत की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई आजकल सभी गलत कारणों की वजह से चर्चा में है. सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना आपस में लड़ रहे हैं और सरकार पर इल्जाम है कि वो ‘साइड’ ले रही है. किसी थर्ड पार्टी के हस्तक्षेप का शक है और विपक्ष इस विवाद को लेकर लगातार सरकार को घेर रहा है. सच कहें तो बहुत ज्यादा कंफ्यूजन है.
ऐसे में हम आपको आसान तरीके से समझाने की कोशिश करते हैं कि मामला है क्या. इस कॉमिक में किसी भी व्यक्ति या संगठन से किसी भी तरह की समानता निश्चित रूप से सिर्फ एक संयोग भर ही है. सच में.
बॉस के ऑफिस में घुसपैठ और पूरी छानबीन... सीबीआई अफसरों के जीवन में ये एक आम दिन की तरह है.
क्या पता नाम बदलने से ही जगह की किस्मत भी बदल जाए.
एक लेट घोषणा, रातों रात चीजों में बदलाव और फिर लोग हैरान-परेशान. कुछ याद आया?
एक बड़े मैनेजर ने अपने ‘गुजरात वाले दिनों’ से ही बड़े साहब के साथ खूब काम किया है. जाहिर है कि ‘हाई कमान’ की हर इच्छा एक कमांड की तरह ही है. सर्कस रीयल है.
हम सभी के पास दोस्त हैं लेकिन कुछ ज्यादा ही करीब होते हैं और विशेष अधिकार रखते हैं. नतीजा ये कि एक संवेदनशील संस्था में मलाईदार पोजिशन पा लेते हैं, फिर चाहे पिछला रिकॉर्ड सवालों में ही क्यों न हो. ‘फ्रैंड्स विद बेनेफिट्स’, हैं ना?
कप्तान और उपकप्तान के बीच एक लंबा मैच चलता है लेकिन तभी ‘आउटसाइडर’ उसमें दखल देते हैं. अब किसमें क्या गलत? अरे सबकुछ ही तो गलत
अब इस क्रेजी कॉमिक स्टोरी में आगे क्या होगा? आप हमें नीचे कमेंट करके बताइए.
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