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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सोशल मीडिया को रेगुलेट करने वाले कानूनों को अंतिम रूप देने में अभी तीन महीने का वक्त लगेगा. सरकार ने कोर्ट को बताया कि पूरी प्रक्रिया जनवरी, 2020 तक पूरी हो जाएगी.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि इस तरह के मैसेज और पोस्ट में तेजी से वृद्धि हुई है. सरकार ने कहा कि नेशनल सिक्योरिटी के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म को कंट्रोल किए जाने की जरूरत है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले पोस्ट के संबंध में क्या कदम उठाए जा रहे हैं? इसके जवाब में ही सरकार ने हलफनामा दाखिल किया है.
बता दें, पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को "राज्य की संप्रभुता, व्यक्ति की गोपनीयता और अवैध गतिविधियों को रोकने" वाली गाइडलाइंस तैयार करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया था.
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा-
हलफनामे में कहा गया है, ‘व्यक्तिगत अधिकारों और देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए बढ़ते खतरों के मद्देनजर महसूस किए गए प्रभावी नियमों को लागू करने की जरूरत है. जटिलताओं को देखते हुए नियमों को अंतिम रूप देने में तीन महीने और लग सकते हैं.’
इस मामले की सुनवाई कर रहे दो जजों की बेंच के प्रमुख जस्टिस दीपक गुप्ता ने 24 सितंबर को आधुनिक दौर में टेक्नॉलजी के कुछ गलत इस्तेमाल पर चिंता जताई थी.
उन्होंने कहा, "जिस तरह से टेक्नॉलजी आगे बढ़ रही है, यह खतरनाक है. आखिरी सुनवाई के बाद मैंने रिसर्च की, जिसमें मैंने पाया कि मैं 30 मिनट में डार्क वेब पर AK-47 खरीद सकता हूं."
उन्होंने कहा, ''मैं सोच रहा हूं कि स्मार्टफोन छोड़कर फीचर फोन ले लूं.”
कोर्ट आधार को लिंक करने की मांग को लेकर मद्रास, बॉम्बे और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में लंबित मामलों के ट्रांसफर की मांग करते हुए फेसबुक और व्हाट्सऐप की ओर से दायर याचिका पर जवाब दे रही थी.
सोशल मीडिया की दिग्गज फेसबुक और व्हाट्सऐप ने तर्क दिया था कि इन मामलों में फैसले से नेशनल सिक्योरिटी पर प्रभाव पड़ेगा और इसलिए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना चाहिए.
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