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नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि कश्मीर में बातचीत से ही शांति कायम हो सकती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को हुर्रियत नेताओं के साथ बातचीत करनी चाहिए.
इस दौरान उन्होंने तालिबान के साथ बातचीत पर सेना प्रमुख बिपिन रावत के गुरुवार के बयान का हवाला दिया. अब्दुल्ला ने कहा कि अगर सेना प्रमुख ऐसा सुझाव दे सकते हैं तो केंद्र सरकार को कश्मीर की समस्या का समाधान निकालने के लिए हुर्रियत नेताओं के साथ बातचीत करनी चाहिए.
तालिबान से अमेरिका और रूस की बातचीत पर जनरल रावत ने कहा था, ''अफगानिस्तान में हमारे हित हैं. हम इससे अलग नहीं हो सकते.'' एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह स्थिति जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं की जा सकती, राज्य में हमारी शर्तों पर ही बातचीत होगी.
अब्दुल्ला ने कहा कि हुर्रियत नेताओं के पास भारतीय पासपोर्ट हैं और पहले भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं ने उनके साथ बातचीत की है.
हुर्रियत के साथ बातचीत के मुद्दे पर जनरल रावत ने कहा था, ''हमारा रुख बेहद साफ है कि बंदूक से दूर रहो और पश्चिमी पड़ोसी से मदद लेना बंद करो. बातचीत सिर्फ तभी हो सकती है, जब वे हिंसा से दूर रहेंगे.''
अब्दुल्ला ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा ''सेना और बल प्रयोग से कभी भी कश्मीर समस्या हल नहीं हो सकती. शांति केवल बातचीत से ही कायम हो सकती है.'' उन्होंने कहा कि हर चुनाव ने देश को जोड़ने के बजाय बांटने का काम किया है. उन्होंने कहा ''दिल्ली और कश्मीर के बीच एक अविश्वास की भावना है और देश में नफरत का माहौल बना दिया गया है.''
इस दौरान पूर्व सेना प्रमुख शंकर रॉय चौधरी ने आईएएस ऑफिसर शाह फैसल के इस्तीफे का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, ''हम उनके इस्तीफे की खबर सुनकर चौंक गए. उनको इस्तीफा नहीं देना चाहिए था.'' इसके अलावा उन्होंने कहा, ''पिछले कुछ सालों में कश्मीर से एक सकारात्मक चीज दिखी है. यहां के युवा सेना में शामिल हुए हैं और उन्होंने बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियां ली हैं.''
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