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Navratri: शैलपुत्री,चंद्रघंटा से कालरात्रि ...माता के 9 रूपों के बारे में जानें

Chaitra Navratri 2023: इश बार नवमी 30 मार्च को है. इस दिन देवी के नौवें रुप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

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Chaitra Navratri

(फोटोःफेसबुक)

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Chaitra Navratri 2023: बुधवार, 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की शुरुआत हो गई है. आज चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि है. नवरात्रि के इस तिथि पर घटस्थापना की जाती है. इसके बाद पूरे नौ दिन तक देवी के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है. ये नौ रुप अलग-अलग सिद्धियां देते हैं. इसमें माता के महागौरी से लेकर कालरात्रि जैसे नौ रुप हैं. ये नौ रुप माता के दस महाविद्या वाले रुपों से अलग हैं. तो आइये इस खास मौके पर जानते हैं देवी के नौ रुपों के बारें में.

शैलपुत्री (Maa shailputri): चैत्र नवरात्रि के पहला दिन देवी के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है. हिमालय का एक नाम शैलेंद्र या शैल भी है और  पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. कहा जाता है कि सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म करने के बाद अगले जन्म में शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुईं और भगवान शिव से फिर विवाह किया. 

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मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini): नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी कहा जाता है. मां ब्रह्मचारिणी ने ही भगवान शिव को पति रूप प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा. मां  की इस रूप की पूजा नवरात्र के दूसरे दिन किया जाता है. इस साल नवरात्र का दूसरा दिन  23 मार्च, 2023 को है.

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मां चंद्रघंटा (Chandraghanta) :  नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित होता है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है. मां चंद्रघंटा शेरनी की सवारी करती हैं और उनकी 10 भुजाएं है. कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा की उपासना करने से भय और नकारात्मक शक्तियों का अंत हो जाता है.

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मां कूष्मांडा (Kushmanda): 

नवरात्र में चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है. मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचनाकार कहा गया है. ये नवदुर्गा का चौथा स्वरूप है. इनकी आठ भुजाएं है. इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प,कलश, चक्र और गदा है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियां और निधियों को देने वाली माला है.

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मां स्कंदमाता (Skandmata):  मां दुर्गा का पंचम रूप को स्कंदमाता के रूप में जाना जाता है. भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद की माता होने के कारण देवी के पांचवें रुप का नाम स्कंद माता है. भगवान स्कंद जी बालरूप में माता की गोद में बैठे होते हैं. मां का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती है. इसी से इन्हें पद्मासना की देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है. स्कंद माता को शक्ति की दाता भी कहा जाता है.

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मां कात्यायिनी (Maa Katyayani) : नवरात्रि के छठे दिन देवी के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है. कात्यायिनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं, जो देवी दुर्गा का ही छठा रूप है. वामन पुराण के अनुसार, सभी देवताओं ने अपनी ऊर्जा को बाहर निकालकर कात्यायन ऋषि के आश्रम में इकट्ठा किया और कात्यायन ऋषि ने उस शक्तिपूंज को एक देवी का रूप दिया. इस दौरान देवी शेर पर विराजमान थी. वहीं कात्यायन ऋषि ने रूप दिया इसलिए वो कात्यायिनी कहलाईं और उन्होंने ही महिषासुर का वध किया. मां कात्यायिनी को स्वास्थ्य की देवी कहा जाता है.

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मां कालरात्रि (Kalratri): कालरात्रि माता देवी दुर्गा के नौ रूपों में से सातवां स्वरूप को कहा गया है. नवरात्र के सातवें दिन माता के इसी स्वरूप की पूजा की जाती है. देवी का यह नाम उनके स्वरूप के कारण से है. इस स्वरूप में माता का वर्ण काजल के समान काला है. मान्यता के अनुसार, शुंभ-निशुंभ और उसकी सेना को देखकर देवी को भयंकर क्रोध आया  था और इसी कारण इनका वर्ण श्यामल हो गया. इसी श्यामल स्वरूप से देवी कालरात्रि प्रकट हुई.  आलौकिक शक्तियों, तंत्र सिद्धि, मंत्र सिद्धि के लिए कालरात्रि देवी की उपासना की जाती है. इस बार नवरात्र के सातवें दिन 28 मार्च, 2023 को है.

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मां महागौरी (Mahagauri) : देवी का आठवा स्वरूप है महागौरी है और नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की ही पूजा की जाती है. गौरी का अर्थ है पार्वती इशलिए महागौरी को पार्वती का सबसे उत्कृष्ट स्वरूप माना जाता है. मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार, अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था. देवी दुर्गा के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने लगती है. देवी महागौरी की पूजा करने से मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है. इनकी उपासना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इस बार अष्टमी 29  मार्च, 2023 को है.

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मां सिद्धिदात्री (Siddhidatri): नवरात्रि के आखिरी दिन यानी नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. यह मां दुर्गा का नौंवा स्वरूप हैं. इस बार नवमी 30 मार्च, 2023 को है. भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही 8 सिद्धियों को प्राप्त किया था. इन सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं. इन्हीं माता की वजह से भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर नाम मिला, क्योंकि सिद्धिदात्री के कारण ही शिव जी का आधा शरीर देवी का बना. मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है.

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