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नाथूराम गोडसे की पूजा करने के मामले में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते ने अपने ही एक रिश्तेदार पर सवाल उठाया है. नेताजी के पड़पोते चंद्र बोस ने कहा है कि पड़पोती राज्यश्री चौधरी का नाथूराम की पूजा करना हास्यास्पद है.
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की लीडर राज्यश्री ने 19 नवंबर को ग्वालियर में नाथूराम गोडसे की तस्वीर के सामने प्रार्थना की थी. ‘द क्विंट’ से बातचीत में चंद्र बोस ने राज्यश्री के इस कदम को 'हास्यास्पद और गैर-जिम्मेदाराना' करार दिया,
बीजेपी नेता चंद्र बोस ने कहा
राज्यश्री चौधरी ने विभाजन जैसी घटनाओं पर गांधी के असर का जिक्र करते हुए कहा था कि आजादी की लड़ाई में उनकी भूमिका भीष्म पितामह की थी. भीष्म ने दुष्ट कौरवों की सेना का नेतृत्व किया था. राज्यश्री ने यह भी कहा कि जवाहरलाल नेहरू को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सब को चुप करा दिया. लेकिन राज्यश्री के इस बयान पर चंद्र बोस ने कहा, '' मुझे समझ नहीं आ रहा है कि राज्यश्री ऐसे बेहूदे बयान क्यों दे रही हैं. मुझे लगता है कि वह पब्लिसिटी के लिए ऐसा कर रही हैं. मैं देख रहा हूं आज कल लोग सार्वजनिक तौर पर विवादास्पद और हास्यास्पद बयान देते हैं ताकि खबरों में बने रहें. मुझे यह बेहद गैर जिम्मेदाराना लगता है. “
बोस ने कहा, पहले राज्यश्री बीजेपी में हुआ करती थी लेकिन अब लगता है कि वह हिंदू महासभा में चली गई हैं. अगर आप किसी सार्वजनिक पद पर हैं तो आपको जिम्मेदारी से बयान देना होगा. नेहरू की अपनी नाकामियां हो सकती हैं लेकिन आप उन पर बगैर किसी प्रमाण के आरोप नहीं लगाया जा सकता है. हां नेहरू जी और सुभाष चंद्र में कांग्रेस के भीतर प्रतिद्वंद्विता थी. लेकिन यह पार्टी से बाहर नहीं आई.मैं भी बीजेपी में हूं और पार्टी में मेरे और सहयोगी के बीच प्रतिद्वंद्विता है. लेकिन इससे मैं किसी को मारने लगूंगा. लोगों की पिटाई कर दूंगा, ऐसा नहीं है.
चंद्र बोस ने कहा कि नाथूराम की कतई पूजा नहीं की जा सकती. किसी को भी किसी की जान लेने का अधिकार नहीं है. सुभाष बोस के साथ महात्मा गांधी के काफी मतभेद थे लेकिन दोनों एक दूसरे का बेहद सम्मान करते थे. आपको पता होगा कि सुभाष बोस ने ही पहले बापू को राष्ट्रपिता कहा था. जबकि गांधी ने उन्हें देशभक्तों का राजकुमार कहा था. दोनों अलग-अलग राह पर चले. लेकिन दोनों का मकसद एक था. वह था देश की आजादी.
‘द क्विंट’ जब वह बीजेपी में थीं तो ये मुलाकातें हुई थीं. पार्टी दफ्तर में कई बार मुलाकात हुई थी. चंद्र बोस ने कहा, ‘’ वह हमारे यहां आई थीं. उन्होंने कहा था कि वह हमारी रिश्ते में हैं. देखिये जानकीनाथ बोस (सुभाष चंद्र बोस के पिता) के वंश की शाखाएं कई तरफ फैलीं. मैं इससे इनकार नहीं करता कि वह सुभाष चंद्र बोस की वंशज नहीं हैं लेकिन वह हमारे नजदीकी रिश्ते में नहीं.’’
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