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आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और TDP प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी से राज्यभर में कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन शुरू हो गया है. 9 सितंबर 2023 की सुबह करीब 5ः30 बजे नायडू को आंध्र प्रदेश पुलिस और CID ने गिरफ्तारी किया. नायडू की गिरफ्तारी साल 2021 में दर्ज एक भ्रष्टाचार के मामले में हुई है. TDP प्रमुख की गिरफ्तारी को YSRCP प्रमुख और मौजूदा मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी से जोड़कर देखा जा रहा है. TDP नेताओं का आरोप है कि जगनमोहन रेड्डी नायडू की गिरफ्तारी बदले की भावना से प्रेरित होकर की है.
चंद्रबाबू नायडू ने अपनी गिरफ्तारी पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि...
वहीं, इसके जवाब YSRCP ने भी X (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि "नायडू के पोस्ट का करेक्शन"
वहीं, जनसेवा प्रमुख पवन कल्याण ने चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी की निंदा की है.
TDP प्रमुख की गिरफ्तारी पर टीडीपी नेता कनकमेदला रवींद्र कुमार ने कहा कि "आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने के लिए, तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू ने एक कौशल विकास निगम का गठन किया. इसमें राज्य सरकार का कुल हिस्सा रु 370 करोड़ था, जिसमें से संबंधित विभाग के सचिवों का हिस्सा लगभग 270 करोड़ रुपये किश्तों में जारी कर दिया गया था. इसलिए घोटाले का सवाल ही नहीं उठता."
विजयवाड़ा से सांसद केसिनेनी नानी ने सोशल मीडिया X (ट्विटर) पर गृहमंत्रालय को टैग करते हुए अपने पत्र की फोटो शेयर की है और मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. उन्होंने लिखा कि "मैं पूर्व मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू की गिरफ्तारी के मामले में न्याय और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आपके हस्तक्षेप का सम्मानपूर्वक अनुरोध करता हूं."
आंध्र प्रदेश CID के अतिरिक्त डीजीपी एन. संजय ने बताया कि "जांच से पता चला कि पूरी योजना के पीछे मुख्य साजिशकर्ता, जिसने शेल कंपनियों के माध्यम से सरकार से निजी संस्थाओं को सार्वजनिक धन का हस्तांतरण किया, चंद्रबाबू नायडू के सक्रिय नेतृत्व में हुआ."
दरअसल, CBI ने 9 दिसंबर, 2021 को स्किल डेवलपमेंट घोटाले मामले में FIR दर्ज की थी. इसमें 25 लोगों को आरोपी बनाया गया था. हालांकि, इस FIR में नायडू का नाम नहीं था. इस साल मार्च में CID ने स्किल डेवलपमेंट घोटाले की जांच शुरू की थी. CID का दावा है कि जांच में जो बातें सामने आई हैं, उनके आधार पर चंद्रबाबू को गिरफ्तार किया गया है.
आंध्र प्रदेश स्टेट स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन का गठन आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद किया गया था.
ये एक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप था और इसका उद्देश्य राज्य के युवाओं को कौशल देना और प्रशिक्षित करना था.
प्रशिक्षण पूरा करने वाले युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना भी इसका मकसद था.
इसके लिए कौशल विकास निगम ने टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ समझौते किये गए थे.
इनमें सीमेंस और डिजाइन टेक सिस्टम्स जैसी कंपनियां भी शामिल थीं.
इसमें आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा था कि लागत का दस प्रतिशत हिस्सा सरकार देगी और बाकी 90 प्रतिशत सीमेंस कंपनी अनुदान के रूप में देगी.
आंध्र प्रदेश सरकार ने स्किल डेवलपमेंट एक्सीलेंस सेंटरों की स्थापना के लिए सीमेंस और डिजाइन टेक के साथ 3356 करोड़ रुपये के समझौते किए थे. समझौते के मुताबिक टेक कंपनियों को इस प्रेजेक्ट में 90 फीसदी हिस्सेदारी वहन करनी थी, लेकिन ये बात आगे नहीं बढ़ी.
इस समझौते के तहत स्किल डेवलपमेंट के लिए छह क्लस्टर बनने थे और प्रत्येक क्लस्टर पर 560 रुपये खर्च होने थे.
तत्कालीन चंद्रबाबू नायडू सरकार ने घोषणा की थी कि वह अपने हिस्से की दस प्रतिशत जीम्मेदारी यानी 371 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी.
आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से का भुगतान कर दिया था. आंध्र प्रदेश में सीआईडी ने कौशल विकास के लिए जारी फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सबसे पहले दिसंबर 2021 में मामला दर्ज किया था.
CID ने आरोप लगाया था कि सीमेंस ने प्रोजेक्ट की लागत को कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर 3300 करोड़ रुपये कर दिया था. इस आरोप में सीमेंस से जुड़े जीवीएस भास्कर पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था.
आंध्र प्रदेश सरकार ने सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयल प्राइवेट लिमिटेड को 371 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.
सीआईडी का आरोप था कि इस सॉफ्टवेय की वास्तविक कीमत सिर्फ 58 करोड़ रुपये थी.
CID ने इस समझौते में कौशल विकास निगम की तरफ से मुख्य भूमिका निभाने वाले गंता सुब्बाराव और लक्ष्मीनारायण समेत कुल 26 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. बाद में इनमें से दस लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया था.
अब इसी मामले में चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी हुई है.
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